दोस्तों आज में आपको सिंगल यूज़ प्लास्टिक निबंध हिंदी (Single use plastic ban essay in hindi) के बारे में कहूँगा | प्लास्टिक की समस्या सिर्फ हमारे लिए ही नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक समस्या है | तो में आशा करता हु की आपको ये सिंगल यूज़ प्लास्टिक निबंध हिंदी (Single use plastic ban essay in hindi) जरूर पसंद आएगा | अगर आपको ये Single use plastic ban essay in hindi पसंद आए तो आप एक बार राष्ट्रीय खेल हॉकी पर निबंध इसे जरूर पढ़े |
सिंगल यूज़ प्लास्टिक निबंध हिंदी

यदि मानव आज के समय मे थोड़ा सा सजग हो जाये और अपने साथ-साथ दूसरों के लिए थोड़ा सा भी सोचता है, तब हम आसानी से प्लास्टिक से निपटने के महत्व को सही तरीके से सोचने पर गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा, ‘विश्व बैंक की रिपोर्ट’ के मुताबिक हर साल औसतन समुद्र में 8 मिलियन टन प्लास्टिक के कचरे की मात्रा की जांच किया जाता है, जो लगातार पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है, आज के समय मे मानव जीवन का प्लास्टिक के उत्पादों पर निर्भरता आगे चलकर हम सबके लिए घातक साबित होने वाली है, क्योंकि, प्लास्टिक ने तो पर्यावरण को अपनी जकड़ में ले लिया है एवं पर्यावरण को हानि पहुंचा रहा है।
यदि हम इसे समय रहते नहीं रोक पाते है, तब , पर्यावरण का विनाश हो जाएगा, और पृथ्वी पर जीवन संभव भी नहीं हो पाएगा, हमे पृथ्वी से दूर अपने आने वाले पीढ़ी के भविष्य के लिए दूसरी दुनिया खोजना होगा जो प्लास्टिक फ्री हो, इसलिए आज के वर्तमान समय में सभी को प्लास्टिक के उत्पादों पर प्रतिबंध के बारे में सोचने की जरूरत है तथा इसका उपयोग अपने स्तर पर कम करने की जरूरत है, नही तो वह दिन दूर नही है जब हम पृथ्वी को और पृथ्वी हमे बाय बाय कर रहा हो।
प्लास्टिक का प्रभाव
एक बार उपयोग किये जाने वाले प्लास्टिक से निम्न तरह के प्रभाव पड़ सकता है
प्लास्टिक के कुछ उत्पाद जैसे की थैलियाँ व बैग्स आदि को सड़ने में काफी लंबा वक्त लगता है, एवं इस बीच में यह हमारी मिट्टी तथा पानी दोनों में मिलकर के उसे प्रदूषित कर देता है।
प्लास्टिक के निर्माण के लिए इसमें कुछ जहरीले रसायन का उपयोग किया जाता है, जोकि पहले एनिमल टिश्यू में परिवर्तित होता है, फिर इसके बाद यह मानव खाद्य श्रंखला में प्रवेश करता हैं एवं फिर यह खाद्य पदार्थों के सेवन से यह हमारे शरीर में पहुंचकर हमारे शरीर को प्रभावित करता है।
यदि इस तरह के प्लास्टिक को जानवरों द्वारा या फिर इंसानों द्वारा निगला जाता हैं तब यह तंत्रिका तंत्र, फेफड़े एवं कुछ अन्य अंगों को काफी नुकसान पहुंचा सकता हैं, और इससे जान भी जा सकता है।
यह जीव जंतु व मानव शरीर के अलावा पर्यावरण को भी काफी अधिक प्रभावित करता हैं, और जब प्लास्टिक के उत्पाद मिट्टी में मिलते हैं तब उसमें पाए जाने वाले खतरनाक रसायन भी मिट्टी में मिल जाता है, इससे उर्वरकता कम हो जाता है, एवं इससे जब उस मिट्टी में पेड़ – पौधों लगायें जाते हैं या जो खुद से उत्पन्न होता उन सभी पर काफी अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आज प्लास्टिक की बहुत अधिक मात्रा समुद्र में मिल रहा है, जिसके चलते यदि वर्तमान रुझान देखा जाये तब सन 2050 तक समुद्र में जीव जंतुओं की तुलना में प्लास्टिक अधिक दिखाई देगा, यह पर्यावरण एवं जलीय जीव जंतुओं के लिए बिलकुल भी लाभदायक नही है, बहुत से समुद्री जीव विलुप्त हो जायेगा।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक के लाभ :
आज के समय में इसका प्रयोग करना बहुत ही आसान है, तथा इसका निर्माण भी काफी सरल हो गया है।
प्लास्टिक से कुछ भी बनाना है तब यह बहुत ही सस्ता होता है, और आसानी से बन जाता है।
प्लास्टिक मजबूत और टिकाऊ होता है, ऐसे में इसका उपयोग अधिक किया जाता है अन्य चीजो के मुकाबले।
यह जल प्रतिरोधक होता है तथा यह गन्ध रहित भी होता है, जो कि इसमें पानी खराब नही हो सकता है।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक का हानि :
आज के समय मे प्लास्टिक का बहुत से हानि है जो कि निम्न है-
प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है, गलती से प्लास्टिक यदि जीव जंतु खा लेता है तब आंत से सम्बंधित बीमारी होने की संभावना बढ़ जाता है।
प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह है, यदि हम इसे जलाते है तब वायु प्रदूषण होता है, यदि पानी मे फेक देते है तब जल प्रदूषण और मिट्टी में दफन करते है तब मृदा प्रदूषण होता है।
समुद्र में यदि प्लास्टिक फेक देते है तब समुद्री जीव के लिए यह काफी हानिकारक है, तथा इसके कारण कुछ समुद्री जीव विलुप्ति के कगार में है।
बहुत ज्यादा प्लास्टिक के प्रयोग से जलवायु परिवर्तन हो रहा है।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उपयोग से आज के समय मे जीव जंतु काफी लोगो के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास
प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा single use plastic अपशिष्ट प्रबन्धन नियम 2016 लाया गया है। इस नियम में यह प्रावधान है कि ऐसी कम्पनियाँ, जो अपने पैकेजिंग में प्लास्टिक का उपयोग करती हैं, उन्हें ही इसे नष्ट करने की जिम्मेदारी भी लेनी होगी। इसके लिए कम्पनियों को एक्सटेण्डेड प्रोडक्ट रिस्पांसिबिलिटी प्लान अर्थात् EPR के अन्तर्गत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
अगर भारत में कोई बड़ी या छोटी कम्पनी EPR के अन्तर्गत रजिस्ट्रेशन नहीं कराती है, तो उस पर पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 और NGT Act. 2010 के तहत् कार्यवाही की जा सकती है। EPR प्रावधानों के अन्तर्गत कम्पनियों को एक बेस्ट कलेक्शन सिस्टम (WCS) तैयार करने का प्रावधान है, ताकि प्लास्टिक का प्रयोग होने के बाद उसका सही प्रबन्धन किया जा सके। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबन्धन (PWM) नियम, 2016 की अधिसूचना जारी करने और दो वर्ष बाद किए गए संशोधन के बावजूद अधिकांश शहर और कस्बे इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं।
वर्ष 2018 में प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन नियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत उत्पादकों को राज्यों के शहरी विकास विभागों के साथ साझेदारी में कचरे की रिकवरी के लिए छ: माह की समय सीमा निर्धारित की गई, किन्तु इस योजना में भी काफी कम प्रगति हुई। उचित औद्योगिक प्रक्रिया के उद्देश्य से पुनर्चक्रण को सुविधाजनक बनाने के लिए प्लास्टिक को संख्यात्मक रूप में (जैसे- PET के लिए-1, निम्न घनत्व वाले पॉलिएथीलीन के लिए 4, पॉलीप्रोपीलीन के लिए 5 आदि) भी चिन्हित नहीं किया गया।
गौरतलब है कि पुनर्चक्रण, गैर-पुनर्चक्रण की मात्रा को कम करता है, इसलिए सीमेण्ट भट्ठों में सह-प्रसंस्करण,प्लाज्मा, पाइरोलाइसिस या भूमि भराव जैसे तरीके अपनाकर किया जाना चाहिए। वर्ष 2019 में CPCB (केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड) देश के 52 कम्पनियों को नोटिस जारी कर विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व सम्बन्धी अपने दायित्वों को पूरा करने को कहा है।
प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकारें भी इस मुहिम में योगदान दे रही हैं। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग पर रोक लगा दी है और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ भारी जुर्माने का प्रवधान रखा गया है
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास
सिंगल यूज प्लास्टिक की समस्या को देखते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में यूरोपीय संघ ने वर्ष 2021 तक ‘सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगाने की योजना बनाई है। कचरे के निस्तारण से जुड़े कई अन्तर्राष्ट्रीय समझौतों, जैसे बेसल कन्वेन्शन आदि को लागू किया गया है।
हाल ही में यूरोपीय संसद ने समुद्र तटों को प्रदूषित करने वाले महासागरों और समुद्रों में उपस्थित एकल उपयोग बाले प्लास्टिक कचरों, जैसे- कटलरी, स्ट्रॉ, कपास की कलियाँ आदि पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए मतदान किया है। इसी विषय पर चर्चा करने के लिए सरकार ने G-20 समिट के पर्यावरण और ऊर्जा मन्त्रियों को केरुजावा में एक सम्मेलन में आमन्त्रित किया गया इस सम्मेलन में समुद्री प्लास्टिक कचरे को निपटाने हेतु सभी में आपसी सहमति बनी हैं।
मई, 2018 में यूरोपीय संघ द्वारा समुद्री जीवन की रक्षा में मदद करने के लिए एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रस्ताव लाया गया था। यूरोपीय संघ का मानना है कि प्लास्टिक कचरा निर्विवाद रूप से एक बड़ा मुद्दा है और इस समस्या से निपटने के लिए यूरोपीय लोगों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
इस मुहिम में एक कदम चीन ने भी उठाया है चीन के वाणिज्यिक केन्द्र शंघाई में खानपान सेवाओं में एक होने उपयोग होने वाले प्लास्टिक के उपयोग को धीरे-धीरे प्रतिबन्धित कर रहा है, जबकि हैनान ने वर्ष 2025 तक single use plastic को पूर्णतया समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। विश्व में कई ऐसे देश या राज्य हैं, जहाँ वन टाइम यूज प्लास्टिक को लेकर प्रतिबन्धात्मक कार्यवाही की जा रही है।
निष्कर्ष
प्लास्टिक को ना कहे, और अपने स्वास्थ्य के खतरों को कम करें। यह सुविचार बहुत ही सही है, आज के समय मे प्लास्टिक को जब तक हम ना नहीं कहेंगे तब तक यह धरती पर जीवन को बुरी तरह प्रभावित करेगा, और प्लास्टिक के प्रति हम सभी को जागरूकता फैलाने की जरूरत है, इसका उपयोग कम करके, प्लास्टिक से होने वाली हानि को कम किया जा सके और हम सभी अपने-अपने स्तर पर जितना हो सकता है प्लास्टिक के उपयोग को कम करें, तभी प्लास्टिक का उपयोग होना बंद होगा। वर्तमान समय मे प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के लिए सरकार को भी सख्त कानून बनाना होगा, जलवायु परिवर्तन पर भी सरकार को ध्यान देना होगा। तो दोस्तों में आशा करता हु की आपको ये Single use plastic ban essay in hindi जरूर पसंद आया होगा |