सरस्वती पूजा हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है और आज में आपको इसी विषय पे यानी की Saraswati puja par nibandh के बारे में बताने जा रहा हु. में आशा करता हु की आपको ये Saraswati puja par nibandh जरूर पसंद आएगा.
अगर आपको ये सरस्वती पूजा पर निबंध पसंद आए तो आप एक बारे ये Cricket par nibandh भी पढ़े.
सरस्वती पूजा पर निबंध

हिंदू धर्म में सरस्वती माता को स्वयं ज्ञान की देवी कहा जाता है। सरस्वती पूजा को हर साल बसंत पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है। बसंत पंचमी का यह त्यौहार प्राचीन काल से बहुत प्रचलित है। इस दिन प्रत्येक मनुष्य सरस्वती माता की पूजा करके उनसे शांति समृद्धि बुद्धि व सफलता के लिए कामना करते हैं। इसके साथ ही साथ स्कूल व कॉलेजों में भी इन की प्रतिमा की पूजा की जाती है और पीले पीले सुगंधित पुष्प चढ़ाए जाते हैं।
सरस्वती पूजा प्रति नए वर्ष के जनवरी-फरवरी माह में मनाया जाता है। यह दिन अपने आप में बहुत विशेष होता है क्योंकि इस दिन सरस्वती माता की सभी लोग पूजा अर्चना करते हैं और उनसे इस संसार के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं।
सरस्वती पूजा का इतिहास
कई पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी, तब सभी जीवो और वनस्पतियों का निर्माण किया था। किंतु भगवान शिव के अनुसार ब्रह्मा जी ने संसार का निर्माण तो कर दिया लेकिन सारा जगत अभी भी मूक और रंगहीन था।
भगवान शिव ने परम पिता ब्रह्मा को यह आज्ञा दी की इतने बड़े संसार के निर्माण के बावजूद अभी भी सारा जगत अधूरा है। सभी ऋषि-मुनियों और देवी-देवताओं ने मिलकर इस समस्या का निवारण करना चाहा।
इसके लिए ब्रह्मा जी ने समस्या के निदान के लिए श्री विष्णु की स्तुति की। इसके पश्चात विष्णु भगवान उनके समक्ष तुरंत ही प्रकट हो गए। ब्रह्मा जी के बताए अनुसार उन्होंने समस्या का हल ढूंढने के लिए आदिशक्ति की याचना की।
जब मां आदिशक्ति दुर्गा देवों के समक्ष प्रकट हुई तो उन्होंने समस्या को समझ कर सृष्टि को और भी सुशोभित करने के लिए स्वयं के तेज से एक श्वेत दिव्य प्रकाश को प्रकट किया। आदिशक्ति के ही एक रूप से वह तेज स्वरूपी चार भुजाओं वाली देवी, जिनके हाथों में वीणा, कमंडल, पुस्तक और माला विराजमान था।
देवी ने देवताओं के अनुसार जैसे ही अपने वीणा से स्वर निकाले तो उसके मधुर ध्वनि से पूरे संसार में जीवन आ गया। समस्त संसार में शब्दों और कलाओं का संचार होता गया। वह तेज स्वरूप प्रकाश पुंज वाली देवी का नाम मां सरस्वती पड़ा, जो माता आदिशक्ति के आज्ञा अनुसार परम पिता ब्रह्मा जी की अर्धांगिनी बनी।
तभी से संपूर्ण जगत में माता सरस्वती के प्रकट होने के उल्लास में सरस्वती पूजा किया जाने लगा, जो आज तक जारी है। माता सरस्वती के विषय में यह भी कहा जाता है की भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने उनके कार्यों से खुश होकर उन्हें यह वरदान दिया था कि हर वर्ष वसंत पंचमी के दिन विद्या तथा कला की देवी के रूप में उन्हें पूजा जाएगा।
मां सरस्वती का जन्म दिवस
हमारे पूर्वजों का कहना है कि बसंत पंचमी के दिन ही सरस्वती मां का जन्मदिन आता है और इसीलिए इस दिन सरस्वती पूजा करते हुए मां सरस्वती का आशीर्वाद लिया जाता है। इस दिन स्कूलों में पूजा अर्चना करते हुए मां सरस्वती को याद किया जाता है और सरस्वती वंदना कि जाती है।
ऐसी मान्यता है कि जो भी विद्यार्थी सच्चे मन से सरस्वती पूजा के दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें हमेशा मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है। जो उन्हें अपने भविष्य में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहता है। किसी भी शिक्षा संबंधित जगह पर हमे मां सरस्वती की प्रतिमा विराजमान देखने को मिलती है। जिसे खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है।
सरस्वती पूजा कहाँ-कहाँ मनाया जाता है?
भारत के अलावा सरस्वती पूजा का यह त्यौहार हमारे पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश इत्यादि कई अन्य देशों में मनाया जाता है। वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का वर्णन भारत के प्राचीन शास्त्रों में भी उल्लेखित है। इसके अलावा कई काव्य ग्रंथों और साहित्य में भी मां सरस्वती का विभिन्न ढंग से वर्णन मिलता है।
मां सरस्वती के अनेकों नाम
मां सरस्वती को कई नामों से जाना जाता है। वही अलग-अलग जगहों पर उन्हें अलग-अलग तरीके से पूजा भी जाता है। उनके मुख्य नामों में बागेश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादिनी शामिल है। लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित वे सरस्वती मां के नाम से ही जानी जाती है, जिनकी पूजा अर्चना समूचे भारतवर्ष में कि जाती है।
सरस्वती पूजा का महत्व
सरस्वती पूजा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व हैं। यह केवल भारत में ही प्रचलित नहीं है अपितु भारत देश के साथ-साथ भारत के पड़ोसी देश जैसे कि नेपाल, बांग्लादेश में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है। सरस्वती पूजा को बसंत पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है। सरस्वती पूजा का उल्लेख हिंदू धर्म के धर्म ग्रंथों में भी किया गया है। इस पूजा में प्रत्येक विद्यार्थी को अवश्य ही भाग लेना चाहिए।
सरस्वती पूजा बसंत के मौसम के समय होती है बसंत का मौसम भी बेहद खास होता है क्योंकि इस मौसम में सब कुछ हरा-भरा होता है, बच्चे हो चाहे फिर पेड़-पौधे हर कोई मस्ती में झूम रहा होता है। हिंदुस्तान में सरस्वती पूजा लगभग पूरे देश में मनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण पर्व के दिन सभी विद्यार्थी इकट्ठे होकर माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करते हैं तथा उनकी आरती करने के पश्चात सभी को माता का प्रसाद बांटा जाता है। एक बार जिस पर माता सरस्वती का आशीर्वाद बन जाता है, वह मंदबुद्धि से चतुर और बुद्धिमान मस्तिष्क प्राप्त करता है।
विद्यार्थियों के लिए खास त्यौहार
सरस्वती मां को बुद्धि की देवी माना जाता है और इसीलिए विद्यार्थियों के लिए सरस्वती मां की पूजा करना अच्छा माना जाता है। इस दिन विद्यार्थी पीले वस्त्र पहनकर पीले फूल सरस्वती मां पर चढ़ाते हैं। इस दिन विद्यालयों में कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि सरस्वती पूजा के बाद से ही गर्मी का आगमन हो जाता है और विद्यार्थी पढ़ाई में अपना ध्यान लगाते हैं। अपनी पढ़ाई शुरू करने से पहले अगर सरस्वती मां का ध्यान विद्यार्थी अपने मन में लगाते हैं, तो इससे विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन लगता है।
सरस्वती पूजा कैसे मनाते हैं
हिंदू धर्म में विद्या तथा संगीत की देवी कहे जाने वाली मां सरस्वती की पूजा सभी के लिए लाभदायक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार किसी भी देव की पूजा करने से पहले श्री गणेश की पूजा की जाती है अतः भगवान गणेश की मूर्ति भी मां सरस्वती की पूजा के पहले स्थापित किया जा सकता है।
मूर्ति स्थापित करने के बाद मां सरस्वती का श्रृंगार किया जाता है, उनके चरणों में गुलाल-अबीर इत्यादि अर्पित किया जाता है तथा दीपक जलाए जाते हैं। पवित्र सरस्वती पूजा दिन कई शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा भव्य रुप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन लोग सवेरे उठकर स्नान करके पीला वस्त्र धारण करते हैं। क्योंकि कहा जाता है कि मां सरस्वती को पीला रंग बहुत ही लुभावना लगता है, जिसके कारण इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनना अच्छा माना जाता है।
स्कूल व कॉलेजों में विद्यार्थी एकजुट इकट्ठा होकर माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करते हैं व प्रेम भाव से उनकी आरती करते हैं। इसके पश्चात माता का प्रसाद सभी विद्यार्थियों में बांटा जाता है। माता सरस्वती के आशीर्वाद से प्रत्येक विद्यार्थी के मन से अज्ञान रूपी अंधकार दूर हो जाता है।
इसके पश्चात पूजा के लिए सभी लोग इकट्ठे हो जाते हैं तथा माता सरस्वती की आरती की जाती है। आरती खत्म होने के पश्चात सभी लोगों को स्वादिष्ट प्रसाद वितरण किया जाता है। अंत में माता सरस्वती की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है।
उत्तर भारत में सरस्वती पूजा
वैसे तो सरस्वती पूजा पूरे भारत में ही मनाई जाती है। लेकिन उत्तर भारत में इसे बड़े ही अच्छे तरीके से मनाया जाता है और सरस्वती मां को खुश किया जाता है। सभी के जीवन में आ रही रुकावट को दूर करने के लिए सरस्वती मां से गुजारिश की जाती है।
साथ ही साथ में नए जन्मे बच्चे को उनका आशीर्वाद दिलाया जाता है। अगर कोई बच्चा विद्यालय में प्रवेश करने वाला हो, तो उसे भी उत्तर भारत में आशीर्वाद दिलाने का प्रावधान है। जिसके माध्यम से सरस्वती मां उस बच्चे को अपना आशीर्वाद देती हैं। सरस्वती मां को शांति का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में उनकी पूजा करने से मन में शांति आती है और किसी भी प्रकार की समस्याओं से लड़ने में आसानी हो जाती है।
उपसंहार
इस प्रकार से आज हमने जाना कि सरस्वती पूजा हमारे लिए बहुत ही अहम है। जिसके माध्यम से विद्यार्थी अपने जीवन में नया प्रकाश कर सकते हैं और सही तरीके से विद्या का संचय कर सकते हैं।
इस दिन सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ कार्य करते हुए आगे बढ़ने से मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और राह में आने वाले सारे विघ्न दूर हो जाते हैं। अगर पढ़ाई करने के पूर्व सरस्वती मां को नमन किया जाए, तो इससे भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। जो हम सभी के भविष्य के लिए अच्छी मानी गई है।
में आशा करता हु की आपको ये Saraswati puja par nibandh जरूर पसंद आया होगा.