Paryavaran par nibandh | पर्यावरण पर निबंध

दोस्तों आज में आपको Paryavaran par nibandh के बारे में कहूँगा | जैसे ठंड ज्यादा लगती है तो हमें सर्दी हो जाती है। लेकिन गर्मी ज्यादा पडती है तो हम सहन नहीं कर पाते हैं। पर्यावरण प्राकृतिक परिवेश है जो पृथ्वी पर बढने से पृथ्वी को नष्ट करने में सहायता करती है। प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में एक महान भूमिका निभाता है और यह मनुष्य, जानवरों और अन्य जीवित चीजों को विकसित करने में मदद करता है।

मनुष्य अपनी कुछ बुरी आदतों और गतिविधियों के कारन अपने पर्यावरण को नष्ट की और ढकेल रहा है। आज हम उसीके बारे में कुछ बाते करेंगे | में आशा करता हु की आपको ये Paryavaran par nibandh जरूर पसंद आएगा | अगर आपको ये Paryavaran par nibandh पसंद आए तो आप एक बार vyayam par nibandh इसे जरूर पढ़े |

Paryavaran par nibandh

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पर्यावरण जलवायु, स्वच्छता, प्रदूषण तथा वृक्ष का संपूर्ण योग है। जो हमारे रोज के जीवन में सीधा संबंध रखता है तथा उसे प्रभावित करता है। वर्तमान में वैज्ञानिक प्रगति के परिणामस्वरूप मिलों, कारखानों तथा वाहनों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि पर्यावरण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती बढ़ती जा रही है। मानव और पर्यावरण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं अर्थार्त हमारी जलवायु में परिवर्तन होता है तो इसका सीधा असर हमारे शरीर पर दिखने लगता है।

पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरण का अर्थ बड़ा सरल है। जो हमारे चारों ओर के वातावरण और उसमें निहित तत्वों और उसमें रहने वाले प्राणियों से है। हमारे चारों ओर उपस्थित वायु, भूमि, जल, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सभी पर्यावरण का हिस्सा है। जिस तरह से हम अपने पर्यावरण से प्रभावित होते हैं उसी तरह से हमारा पर्यावरण हमारे द्वारा किए गए कृत्यों से प्रभावित होता है।

जैसे लकड़ी के लिए काटे गए पेड़ों से जंगल समाप्त हो रहे हैं और जंगलों के समाप्त होने का असर जंगल में रहने वाले प्राणियों के जीवन पर पड़ रहा है। यही कारन है आज कई जीवों की बहुत सी प्रजातियाँ विलुप्त हो गई है और बहुत सी जातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। आज के समय में शेर अथवा चीतों के द्वारा गाँव में घुसने और वहाँ पर रहने वाले मनुष्यों को हानि पहुँचाने की बात सामने आ रही है।

प्राणियों का बेघर होना

इसके चलते आज कई प्राणियों बेघर हो रहे है क्योंकि हमने इन प्राणियों से इनका घर छीन लिया है। यही कारन है अब ये प्राणी गाँवो और शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर हो गए हैं। तथा अपने जीवन यापन के लिए मनुष्यों को हानि पहुँचाने लगे हैं। पर्यावरण का अर्थ केवल हमारे आस-पास के वातावरण से नहीं है बल्कि हमारा सामाजिक और व्यवहारिक वातावरण को शामिल करता है। मानव के आस-पास उपस्थित सोश्ल, कल्चरल, एकोनोमिकल, बायोलॉजिकल और फिजिकल आदि सभी तत्व जो मानव को प्रभावित करते हैं वे सभी वातावरण में शामिल होते हैं। जो पर्यावरण को प्रभाव करता है।

पर्यावरण प्रदूषित कैसे होता है

पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से कारन है जिससे हमारा पर्यावरण अधिकतर पर प्रभावित होता है। मानव द्वारा निर्मित फैक्ट्री से निकलने वाले अवशेष हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और पर्यावरण को हानि पहुँचता है। लेकिन यह भी संभव नहीं है कि इस विकास की दौड़ में हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपने विकास को नजर अंदाज कर दें। लेकिन हम कुछ बातों को ध्यान में रखकर अपने पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं। जैसे कारखानों की चिमनियाँ नीची लगी होती हैं जिसकी वजह से उनसे निकलने वाला धुआं हमारे चारों ओर वातावरण में फैल जाता है और पर्यावरण को दूषित कर देता है।

मिलों, कारखानों तथा व्यवसायिक इलाकों से बाहर निकलने वाले धुएं तथा विषैली गैसों ने पर्यावरण की समस्या को उत्पन्न कर दिया है। बसों, करों, ट्रकों, टंपुओं से इतना अधिक धुआं और विषैली गैसी निकलती है जिससे प्रदूषण की समस्या और अधिक गंभीर होती जा रही है । आज के समय में घर में इतने सदस्य नहीं होते हैं जितने उनके वाहन होते हैं। आज के दौर में घर का छोटा बच्चा भी साइकिल की जगह, गाड़ी पर जाना पसंद करता है।

पर्यावरण प्रदूषित के अनेक उदाहरण

बहती नदियों के पानी में सीवर की गंदगी इस तरह से मिल जाती है जिससे मनुष्यों और पशुओं के पीने का पानी गंदा हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप दोनों निर्बलता, बीमारी तथा गंभीर रोगों के शिकार बन जाते हैं। बड़े-बड़े नगरों में झोंपड़ियों के निवासियों ने इस समस्या को बहुत अधिक गंभीर कर दिया है। शहरीकरण और आधुनिकीकरण पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। मनुष्य द्वारा अपनी सुविधाओं के लिए पर्यावरण को नजर अंदाज करना एक आम बात हो गई है।

मनुष्य बिना सोचे समझे पेड़ों को काटते जा रहा है लेकिन वह यह नहीं सोचता कि जीवन जीने के लिए वायु हमें इन्हीं पेड़ों से प्राप्त होती है। बढती हुई आबादी हमारे पर्यावरण के प्रदूषण का एक बहुत ही प्रमुख कारण है। जिस देश में जनसंख्या लगातार बढ़ रही है उस देश में रहने और खाने की समस्या भी बढती जा रही है। मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं के लिए पर्यावरण को महत्व नहीं देता है लेकिन वह भूल जाता है कि बिना पर्यावरण के उसकी सुख-सुविधाएँ कुछ समय के लिए ही हैं।

पर्यावरण की सुरक्षा के उपाय

  • हम जिस पर्यावरण में रहते हैं वह बहुत तेजी से दूषित होता जा रहा है। हमें आवश्यकता है कि हम अपने पर्यावरण की देखरेख और संरक्षण ठीक तरीके से करें। हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। हमारे पूर्वजों ने विभिन्न जीवों को देवी-देवताओं की सवारी मानकर और विभिन्न वृक्षों में देवी देवताओं का निवास मानकर उनका संरक्षण किया है। पर्यावरण संरक्षण मानव और पर्यावरण के बीच संबंधों को सुधारने की एक प्रक्रिया होती है। जिसके उद्देश्य उन क्रियाकलापों का प्रबंधन होता है जिनकी वजह से पर्यावरण को हानि होती है। तथा मानव की जीवन शैली को पर्यावरण की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप आचरणपरक बनाते है जिससे पर्यावरण की गुणवत्ता बनी रह सके। कारखानों से निकलने वाले धुएं और पदार्थों का उचित प्रकार से निस्तारण किया जाना चाहिए। सभी मिलों, कारखानों तथा व्यवसायिक इलाकों में अभिलंब प्रदूषण नियंत्रण के लिए संयत्र लगाए जाने चाहिएँ। प्रदूषण और गंदगी की समस्या का निदान बहुत अधिक आवश्यक है ताकि हमारे पर्यावरण की सुरक्षा हो सके।
  • कई संयंत्रों के द्वारा धुएं और विषैली गैसों को सीधे आकाश में ही निष्काषित किया जाना चाहिए। बड़े नगरों में बसों, कारों, ट्रकों, स्कूटरों के रखरखाव की उचित व्यवस्था होनी चाहिए और उनकी नियमित रूप से चेकिंग होना चाहिए। शांतिपूर्ण जीवन के लिए शोरगुल वाली ध्वनि को सीमित और नियंत्रित किया जाना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकार के साथ-साथ सभी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को अपना पूरा सहयोग देना चाहिए। विषैले और खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों के निपटने के लिए सख्त कानूनों का प्रावधान होना चाहिए। कृषि में रासायनिक कीटनाशकों का कम प्रयोग करना चाहिए। वन प्रबंधन से वनों के क्षेत्रों में विकास करनी चाहिए। विकास योजनाओं को आरंभ करने से पहले पर्यावरण पर उनके प्रभाव का आंकलन करना चाहिए। मनुष्य को अपने प्रयासों से पर्यावरण की समस्या अधिकतर से घट सकती है।
  • जो कारखाने स्थापित हो चुके हैं उन्हें तो दूसरे स्थान पर स्थापित नहीं किया जा सकता है लेकिन सरकार को उन कारखानों को प्रतिवर्ष जांच करना चाहिए। ताकि कारखानों द्वारा किया गया प्रदूषण शहर की जनता को प्रभावित न करे। जितना हो सके वाहनों का कम प्रयोग करना चाहिए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करके भी इस समस्या को कम किया जा सकता है। हमारे वैज्ञानिकों द्वारा धुएं को काबू करने के लिए खोज जारी है । जंगलों की कटाई पर सख्त सजा देना चाहिए तथा नए पेड़ लगाने को प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है

विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून से 16 जून के बीच मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस के दिन हर जगह पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। तथा पर्यावरण से संबंधित बहुत से कार्य किए जाते हैं जिसमें 5 जून का विशेष महत्व होता है। आज के समय में मनुष्य को अपने स्तर पर पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए प्रयास करना चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त होना किसी भी एक समूह की कोशिश की बात नहीं है।

इस समस्या पर कोई भी नियम या कानून लागू करके काबू नहीं पाया जा सकता। अगर प्रत्येक मनुष्य इसके दुष्प्रभाव के बारे में सोचे और आगे आने वाली पीढ़ी के बारे में सोचे तो शायद इस समस्या गंभीरता से लेके उसका निवारण के बारे में सोचना चाहिए। विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की थीम ‘जैव-विविधता’ है। इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस का विषय यानी विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम “पारिस्थितिकी तंत्र बहाली” है।

उपसंहार

कई राज्य सरकारों ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बहुत से कानून बनाये है। केंद्रीय सरकार के अंतर्गत पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक मंत्रालय का उद्घाटन किया है। इस समस्या के समाधान के लिए जन साधारण का सहयोग बहुत ही सहायक एवं उपयोगी सिद्ध हो सकता है। विकास की कमी और विकास प्रक्रियाओं से भी पर्यावरण की समस्या उत्पन्न होती हैं। हर साल सरकार को नए नियम बनाना चाहिए जिससे पर्यावरण की रक्षा बड़े ही गंभीरता के साथ करना चाहिए। ताकि आने वाले पीढ़ी को पर्यावरण से हानि नहीं पहुंचना चाहिए तथा पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए। तो दोस्तों में उम्मीद करता हु की आपको ये Paryavaran par nibandh जरूर पसंद आया होगा |

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