Meri pathshala nibandh | मेरी पाठशाला पर निबंध

आज में आपको मेरी पाठशाला पर निबंध (Meri pathshala nibandh) के बारे में कहूंगा। में आशा करता हु की आपको ये मेरी पाठशाला पर निबंध जरूर पसंद आएगा। अगर आपको ये मेरी पाठशाला पर निबंध पसंद आए तो आप एक बार पोंगल पर निबंध, शिक्षा पर निबंध इसे भी पढ़े।

मेरी पाठशाला पर निबंध (Meri pathshala nibandh)

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हमारा पाठशाला सुबह के समय पर होता है। पाठशाला में सबसे पहले प्रार्थना होती है। प्राथना होने के बाद हम अपने क्लास टीचर को सुभ नमस्कार करते हैं। हमारे पाठशाला में बहुत ही सख्ती से अनुशासन का पालन किया जाता है। बच्चों को घरों से पाठशाला तक पहुँचाने के लिए पीले रंग की बस की सुविधा की गई है। सभी बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए एक समान वर्दी दिया गया है जिसे पहनना अनिवार्य है।

हमारे पाठशाला में हमारी जरूरत की सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर लैब, दो विज्ञान लैब, एक पुस्तकालय, खेलने का मैदान, कार्यक्रम के लिए सुंदर क्लब आदि की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। हमारे स्कुल में नर्सरी से लेकर दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थी पढ़ते हैं।

हमारे पाठशाला में पुरुष और महिलाओं सहित 35 शिक्षक, 15 सहायक और एक प्रधानाचार्य जी हैं। मेरे पाठशाला में 20 शिक्षक हैं जिन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किये है। हमारे विद्यालय में सभी शिक्षकों का केवल एक ही लक्ष्य होता है बच्चों का उज्ज्वल भविष्य प्राप्त करने में सहायता कर सके। हमारे विद्यालय में सभी विषय पर बहुत गंभीरता से विचार विमर्श किया जाता है तथा विद्यार्थियों के उचित और अनुचित को सर्वप्रथम रखा जाता है। हमारे विद्यालय में बच्चों को बहुत से विषयों पर शिक्षा दी जाती है। हमारे विद्यालय में प्रत्येक छात्र को कोई भी संदेह होने पर वह अपने कक्षा के अध्यापक से प्रश्न पूछ सकते है और अध्यापक भी उसके प्रश्नों का उत्तर बहुत ही विनम्र और प्रेम भाव से देते हैं जिससे की विद्यार्थी को सरलता से समझ आ सके।

पाठशाला में प्रिंसिपल कक्ष

हमारे पाठशाला में प्राचार्य महोदय के लिए एक अलग कक्ष है। अपने कक्ष में बैठे ही प्राचार्य महोदय सारे पाठशाला में चल रही गतिविधियों को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। इस कक्ष में कक्षा समय सारिणी और अध्यापक समय सारिणी भी दीवार पर लटकी हुई है। इस कक्ष में महापुरुषों तथा प्रेरक उद्धरण के चित्र भी दीवार पर सजे हुए हैं।

इस कक्ष में सभी अध्यापक एक साथ-मिलकर बच्चों के भविष्य और नयी गतिविधियों के बारे में विचार विमर्श करते हैं। किसी भी निर्णय को लेने से पहले सभी अध्यापक प्रधानाचार्य से विचार विमर्श अवश्य करते हैं। अगर कोई बच्चा किसी दूसरे बच्चे को परेशान करता है तो सबसे पहले प्रधानाचार्य को पता चलता है और उस बच्चे को उचित प्रकार से समझाया जाता है जिससे वह इस गलती को दुबारा न दोहरा सके। सभी प्रकार की गतिविधियाँ प्रधानाचार्य के देख-रेख में होता है।

पाठशाला का पुस्तकालय

हमारे पाठशाला में एक बहुत ही विशाल पुस्तकालय है। इसमें नर्सरी से लेकर दसवीं कक्षा तक की विभिन्न विषयों की पुस्तकें हैं। इस पुस्तकालय में हिंदी के दैनिक समाचार पत्र और कई महत्वपूर्ण मासिक अर्धवार्षिक और वार्षिक पत्रिकाएँ भी आती है। पुस्तकालयाध्यक्ष बहुत ही परिश्रमी और अच्छे व्यक्ति हैं। हमें पुस्तकालय से हमारी जरूरत की प्रत्येक पुस्तक मिल जाती है जिसे घर भी ले जाया जा सकता है। पुस्तकालय से पुस्तक को केवल कुछ निश्चित समय के लिए ही घर पर ले जाने की अनुमति मिलती है।

पाठशाला के शिक्षक

जिनके अलावा मेरी पाठशाला में कई सारे पीटी टीचर्स भी हैं। मेरे विद्यालय में हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत भाषाओं के अलावा फ्रेंच भी सिखाई जाती है। यहां के कक्षा कक्ष पर्याप्त मात्रा में बड़े और बड़ी बड़ी हवादार खिड़कियों वाले हैं। हर कक्ष में रोशनी और प्राकृतिक हवा का अच्छा बन्दोबस्त किया हुआ है। हर कक्ष में कक्षाध्यापकों के लिए एक लकड़ी की अलमारी भी बनी हुई है।
हर कक्षा में एक डिजिटल बोर्ड की सुविधा भी है। हमारे शिक्षक हमें डिजिटल बोर्ड पर हर विषय का ज्ञान देते हैं। यहां बहुत सारी प्रतियोगिताओं का आयोजन भी करवाया जाता है।

मेरी पाठशाला का मैदान

इस पाठशाला का खेलने का मैदान बहुत ही बड़ा है और पूरी तरह घास से ढका हुआ है इस मैदान के एक तरफ बास्केटबॉल कोर्ट बना हुआ है और दूसरी तरफ फुटबॉल का कोट है मेरी पाठशाला में विद्यार्थियों को तरह-तरह के खेल सिखाए जाते हैं जिनमें क्रिकेट, बास्केटबॉल, फुटबॉल, बैडमिंटन टेबल टेनिस के साथ-साथ योगा कराटे और स्विमिंग भी सिखाये जाते हैं मेरी पाठशाला की सबसे खास बात है घुड़सवारी। हमारी पाठशाला के अस्तबल में पांच घोड़े हैं। हम खेल के कालांश में घुड़सवारी भी करते हैं। मेरी पाठशाला में अड़तीस शिक्षक और शिक्षिकाएं हैं।

हमारा पाठशाला में खेल

हमारे पाठशाला में एक बड़ा-सा मैदान है। हमारे पाठशाला में खेल कूदों जैसे गतिविधियों पर बहुत महत्व दिया जाता है। सभी विद्यार्थियों के लिए खेल में भाग लेना अनिवार्य होता है जिस कारन पाठशाला के विद्यार्थी खेल में बहुत रूचि लेते हैं। हमारे पाठशाला के खिलाडी कई खेलों में पुरस्कार भी प्राप्त किये है। हमारे पाठशाला में बहुत सी खेल प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं जिससे वह अपने शारीरिक और मानसिक विकास में वृद्धि कर सके। जिस प्रकार से पढाई मनुष्य के भविष्य के लिए बहुत जरूरी होती है उसी प्रकार खेल भी मनुष्य के लिए बहुत जरूरी होते हैं। खेलों से मनुष्य बहुत कुछ जान पाता है तथा अपने पाठशाला का नाम को रोशन करने हेतु अपना योगदान देते है।

मेरी पाठशाला में लेब

इन कार्यक्रमों में स्कूल का प्रत्येक विद्यार्थी बड़े चाव और उत्साह से भाग लेता है मेरे विद्यालय में पढ़ने वाले 11वीं और 12वीं के छात्र छात्राओं के लिए रसायन विज्ञान लैब भौतिकी लैब बायोलॉजी लैब की सुविधा भी उपलब्ध है।

मेरे विद्यालय के कंप्यूटर लैब में लगभग 20 कंप्यूटर लगाए गए हैं जिन से छात्र कंप्यूटर संबंधित अपने ज्ञान को बढ़ाने और कंप्यूटर के क्षेत्र में पारंगत होने की कोशिश करते हैं मुझे मेरा विद्यालय अति प्रिय है मैं इस विद्यालय में पिछले 5 साल से पढ़ रहा हूं, रही हूं मेरे विद्यालय में परीक्षाओं का आयोजन भी बहुत सुव्यवस्थित और अनुशासन पूर्वक किया जाता है।

मेरे विद्यालय का वार्षिक परिणाम हर साल बहुत ही अच्छा रहता है मेरा विद्यालय हमारे शहर के प्रमुख बड़े विद्यालयों में से एक है। हमारे विद्यालय में काम करने वाले सफाई कर्मी विद्यालय परिसर की साफ-सफाई का बहुत ही अच्छे से ध्यान रखते हैं वह बहुत मन लगाकर और मेहनत से स्कूल की देखभाल करते हैं।

पाठशाला के प्रति हमारा कर्तव्य

पाठशाला एक विद्या का मंदिर होता है जहाँ मनुष्य ज्ञान प्राप्त करता है। जिस तरह भक्तों के लिए मंदिर और पूजा स्थल पवित्र स्थान होता है उसी तरह से एक विद्यार्थी के लिए उसका विद्यालय एक पवित्र स्थल होता है। इस पवित्र मंदिर के भगवान हैं हमारे शिक्षक जो हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर हमारे मन में ज्ञान रूपी प्रकाश को फ़ैलाने में मदत करते है। इसी लिए हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए तथा उनके कहने के अनुसार अपने शिक्षण कार्य का संपादन करना चाहिए। हमें अपने विद्यालय के नियमों का श्रद्धा के साथ पालन करना चाहिए। हमारा कर्तव्य बनता है की जब तक हम पाठशाला में है तब तक हमें उचित ज्ञान प्राप्त करनी चाहिए तथा अपने शिक्षकों को सम्मान देना चाहिए। पाठशाला जीवन समाप्त होने के बाद भी हमे अपने शिक्षक एवं पाठशाला को भूलना नहीं चाहिए। जब मौका मिले या जब हम अपने कामों से मुक्त रहे तो हमें अपने पाठशाला अपने शिक्षक से भेट करने जाना चाहिए जो कि मैं भविष्य में अवश्य जाऊँगा।

निष्कर्ष

पाठशाला विद्यार्थियों के लिए केवल किताबी ज्ञान का ही माध्यम नहीं है बल्कि यह विद्यार्थियों को खेल कूद, गाना बजाना, वाद विवाद आदि के अवसर उपलब्ध कराते हैं जिनसे की उनका आध्यात्मिक विकास के साथ साथ शारीरिक विकास, मानसिक विकास, सामाजिक विकास अर्थात सर्वांगीण विकास हो सकें।

पाठशाला से हमें हर प्रकार के ज्ञान का स्रोत मिलता है जो की हमारे लिए बहुत ही लाभदायक है।

अतः हमारी पाठशाला हमारे लिए हर प्रकार से प्रेरणास्रोत है, लाभदायक है जो की हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए एक उत्तम माध्यम है। पाठशाला के माध्यम से ही हम पढ़ लिख कर एक उज्ज्वल भविष्य को प्राप्त करने के साथ साथ एक अच्छा इंसान भी बन सकते हैं जो की हमारे लिए, हमारे परिवार के लिए, हमारे समाज के लिए, हमारे देश वो राष्ट्र के लिए एक बहुत ही सम्मान वो गर्व की बात है। में आशा करता हु की आपको ये मेरी पाठशाला पर निबंध (Meri pathshala nibandh) जरूर पसंद आया होगा।

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