मेरा विद्यालय पर निबंध | Essay on My School in Hindi

आज में आपको वो बचपन के दिनों में से एक दिन में ले जाना चाहता हु और वो है मेरा विद्यालय पर निबंध. जी हा बचपन में हम सबने कभी ना कभी एक बार तो विद्यालय पर निबंध लिखा या फिर सबके सामने बोला होगा. आज उसी याद को एक बार फिर से ताजा करते है और फिर मेरा विद्यालय पर निबंध लिखके वही बाते एक बार फिर से दोहराते है.

में आशा करता हु की यह मेरा विद्यालय पर निबंध पढके आपकी शायद कुछ पुरानी यादे ताजा हो जाए जिन्होंने अभी अभी विद्यालय ख़तम की है. यदि आपको यह पसंद आए तो आप एक बार यह मेरा भारत महान पर निबंध भी पढ़े.

मेरा विद्यालय पर निबंध

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विद्या हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है, शिक्षित व्यक्ति को समाज में अलग तरह से देखा जाता है। इसलिए हर व्यक्ति का शिक्षित होना जरूरी है। अच्छी शिक्षा उस स्कूल से शुरू होती है जहां शिक्षक ज्ञान देते हैं। विद्यालय शब्द विद्या़+आलय दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है विद्या का घर। विद्यालय का अर्थ यह भी है कि जहां विद्या निवास करती है। जिसकी अहमियत शायद हम बड़े होने के बाद समझ पाते हैं।

विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुल भाग्याक्षय चश्रायो धेनु कामदूध रतिश्च विराहे नेत्रम तृतीया चा सा। सत्कारयतनम् कुलस्य महिमा रत्नैरवीना भूषणम् तस्मादान्यमुपेक्ष्य सर्वविश्यम विद्याधिकारम कुरु।

मेरे विद्यालय का परिचय

मेरे विद्यालय का नाम नवोदय विद्यालय है जो एक आवासीय विद्यालय हैए मेरा विद्यालय एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी एक बड़ी बिल्डिंग है। मेरा विद्यालय एक अंग्रेजी माध्यम विद्यालय है, जिसमें छोटे शहरों और गाँवों के प्रतिभाशाली बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। मेरे विद्यालय में एक प्राचार्य एक उप प्राचार्यए शिक्षक और अन्य कर्मचारी मिलाकर 60 से भी ज्यादा लोगों का स्टाफ है विद्यालय में छठवीं से बाहरवीं तक कक्षाएं है। और लगभग 1000 विद्यार्थी पढ़ते हैं।

मेरे विद्यालये की गतिविधियाँ

विद्यालय में एक बड़ा सा प्रार्थना स्थल है, जहाँ सभी विद्यार्थी इकठ्ठा होकर प्रार्थना करते है। और अन्य कार्यकर्मो का आयोजन भी यही पर होता है, मेरे विद्यालय में एक पुस्तकालय है, जिसमे हर तरह की पुस्तकें उपलब्ध है। और एक कंप्यूटर कक्ष है, जहाँ हमें कंप्यूटर सिखाया जाता है।

मेरे विद्यालय में कई खेलों के मैदान है जिनमें क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल, खो-खो, हैंडबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी, कबड्डी जैसे खेल सिखाए जाते हैं विद्यालय में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी की प्रयोगशाला है। जिनमें बच्चों को प्रैक्टिकल जानकारी प्रदान की जाती है।

मेरे विद्यालय के सभी शिक्षक इस विषय में अनुभवी और योग्य हैं। मेरे स्कूल का माहौल पढ़ाई के लिए अनुकूल है और हर साल मेरे स्कूल के छात्र अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होते हैं। मेरे स्कूल में एक संगीत कक्ष भी है, जहाँ संगीत और वाद्य यंत्रो का वादन करना सिखाया जाता है।

मेरे विद्यालय में प्रतिवर्ष एक वार्षिक उत्सव कार्यक्रम भी होता है। जिसमें बच्चे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, और अपना हुनर दिखाते हैं।

मेरे विद्यालय में रहन सहन की व्यवस्था

मेरे मैं छात्रों के रहने के लिए बहुत अछा हॉस्टिल हैं |जिसमे कई बड़े बड़े हॉल हैं, जो काफ़ी हवादार और साफ हैं, एक हॉल मैं कई विद्यार्थी साथ रहते हैं। विद्यालय में पीने के पानी और शौचालय की उचित व्यवस्था है। मेरे स्कूल में एक मेडिकल रूम और नर्स मैडम भी हैं, जो बच्चों के बीमार होने पर उनका उचित इलाज करती हैं, और साथ ही नियमित रूप से सभी की जांच भी करती हैं।

विद्यालय में छात्रों के खानपान की भी उचित व्यवस्था है, यहाँ हमे खाने के बाद दूध भी दिया जाता है। मेरे विद्यालय में हर महीने माता-पिता और शिक्षकों की मीटिंग का आयोजन भी किया जाता है, जिसमे माता-पिता को बच्चे की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी जाती हैं।

मेरे विद्यालय के प्रवेश द्वार पर एक नोटिस बोर्ड लगा है, जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को विद्यालय में हो रही गतिविधियों की जानकारी दी जाती है। स्कूल में एनसीसी और स्काउट भी होते हैं, जिसमें बच्चे उत्साह से भाग लेते हैं और स्कूल के लिए मेडल जीतकर लाते हैं।

मेरे स्कूल में भी हरियाली का ध्यान रखा गया है, स्कूल परिसर में तरह-तरह के हरे-भरे पेड़ लगाए गए हैं, और फूलों के बाग भी लगाए गए हैं जो स्कूल परिसर को खास सुंदरता देते हैं।

मेरे विद्यालय की दिनचर्या

मेरे स्कूल का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक है। सभी विद्यार्थी 7 बजे विद्यालय आते हैं और सबसे पहले प्रार्थना स्थल पर एकत्रित होते हैं। सभी छात्रों और शिक्षकों के आगमन के बाद प्रार्थना का आयोजन किया जाता है। इसके बाद सभी छात्र-छात्राएं अपनी-अपनी कक्षाओं में जाकर पढ़ाई करते हैं। लगातार चार पीरियड्स पढ़ने के बाद सुबह 11 बजे ब्रेक होता है और फिर 1;30 बजे सभी क्लास बंद कर दी जाती हैं।

हमारे विद्यालय की इमारत

हमारे विद्यालय में कुल चार मंजिलें हैं जिनमें प्रत्येक मंजिलें में 12 कमरे स्थित हैं। यहां के प्रत्येक कमरे अत्यंत हवादार और रोशनी दार हैं।विद्यालय के प्रत्येक कमरों में 6 खिड़कियां हैं जिनसे बाहर का हरा भरा दृश्य दिखाई देता है। बच्चों के बैठने के लिए लकड़ी के बेंच तथा शिक्षकों के बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था की गई है।

प्रत्येक कमरे में बड़े-बड़े ब्लैक बोर्ड लगाए गए हैं, जिन पर मेरे शिक्षक लिखकर हमें विभिन्न विषयों के बारे में पढ़ाते हैं।
बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए कंप्यूटर लैब की भी व्यवस्था की गई है, जिसमें सभी बच्चों को सप्ताह में 3 दिन यहां ले जाया जाता है। इसके अलावा मेरे विद्यालय में स्मार्ट बोर्ड की व्यवस्था भी है, जिसके माध्यम से शिक्षक हमें पाठ्यक्रम और अन्य आवश्यक जानकारी देते हैं।

मेरे विद्यालय का अनुशासन

मेरे विद्यालय के नियम बहुत सख़्त हैं, जिन्हें सभी बच्चों को आवश्यक रूप से पालन करना होता है। सभी कक्षाएं नियमित रूप से प्रातः काल निश्चित समय पर लगने शुरू हो जाती हैं। विलंब से आने वाले छात्रों को शिक्षक द्वारा दंडित किया जाता है। मेरे विद्यालय में सभी विद्यार्थियों के वेशभूषा और व्यवहार पर खास ध्यान दिया जाता है। इसके लिए हर रोज शिक्षक सभी बच्चों के नाखून, बाल और यूनिफॉर्म नियमित रूप से देखते हैं। यदि कोई विद्यार्थी विद्यालय के अनुशासन का पालन ना करें तो उसे प्रधानाचार्य द्वारा कड़ी सजा दी जाती है। विद्यालय की सुरक्षा के लिए मुख्य द्वार पर एक चौकीदार बैठता है जिसका मुख्य कार्य स्कूल की सुरक्षा करना है।

मेरे विद्यालय के शिक्षक

मेरे विद्यालय में पढ़ाने वाले प्रत्येक शिक्षक बहुत परिश्रमी और विद्वान हैं, जो हर समय बच्चों के हित का ध्यान रखते हैं। शिक्षको के परिश्रम के कारण मेरे विद्यालय के विद्यार्थियों का परिणाम बहुत अच्छा आता है।
विभिन्न विषयों को अलग-अलग शिक्षकों द्वारा हमें पढ़ाया जाता है। सभी शिक्षक पूरी लगन और श्रद्धा से बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करते हैं।

वे हमें लिखित तथा मौखिक रूप से अभ्यास करवाते हैं और घर के लिए अभ्यास कार्य भी देते हैं। मेरे शिक्षक सभी विद्यार्थियों पर समान रूप से ध्यान देते हैं और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।

मेरे विद्यालय का वार्षिकोत्सव

मेरे विद्यालय में प्रत्येक वर्ष वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इन प्रतियोगिताओं में विद्यार्थी बड़ी प्रसन्नता से भाग लेते हैं।

वार्षिक महोत्सव के प्रारंभ में प्रधानाचार्य विद्यालय को संबोधित करते हैं जिसके बाद कार्यक्रम प्रारंभ होता है। मेरे विद्यालय में प्रत्येक वर्ष वार्षिकोत्सव के दिन छुट्टी होती है जिसके अंतर्गत विद्यार्थी द्वारा कला प्रदर्शनी और खेलकूद की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा नाटक, नृत्य, संगीत आदि कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है।
प्रतियोगिताओं में जीतने वाले विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के इनाम दिए जाते और उन्हें मंच पर बुलाकर सम्मानित भी किया जाता है।

मेरे विद्यालय का वातावरण

हमारा स्कूल भवन बहुत छोटा है। लेकिन यह हमारे लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। हमारे स्कूल में12क्लासरूम और एक हेडमास्टर का कमरा है। हमारे विद्यालय में एक कंप्यूटर कक्ष भी है। लेकिन हमारे स्कूल में शहर के स्कूल जैसा बड़ा हॉल नहीं है। लेकिन हम इससे कभी नहीं चूके। क्योंकि हमारे स्कूल के सामने एक बड़ा मैदान है। इसलिएए स्कूल में सभी कार्यक्रम एक ही जमीन पर आयोजित किए जाते हैं।

विद्यालय की परिभाषा

हुमायूँ कबीर के अनुसार- विद्यालय सामुदायिक जीवन की अभिव्यक्ति है।

रॉस के अनुसार- विद्यालय वे संस्थाएँ हैं, जिनकी स्थापना सभ्य व्यक्ति द्वारा समाज में व्यवस्थित और सक्षम सहायता के लिए बच्चों को तैयार करने में मदद करने के उद्देश्य से की जाती है। वर्तमान समय में विद्यालय की छवि एक इमारत से एक सामाजिक संस्था में बदल गई है, जहाँ छात्र विभिन्न क्षेत्रों की जाति, धर्म, संस्कृति और जीवन शैली से परिचित होकर अपनी रुचिए योग्यता और कौशल विकसित करते हैं।

विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व

समाज में विद्यालय के स्थान, महत्व एवं आवश्यकताओं पर प्रकाश डालते हुए ‘एस बालकृष्ण जोशी ने लिखा है, ष्किसी भी राष्ट्र की प्रगति विधायिकाओं, अदालतों और कारखानों में नहीं, बल्कि स्कूलों में तय होती है।

विद्यालयों के महत्वपूर्ण स्थान

अभिभावकों की व्यवस्ताओं के चलते विद्यालय विद्यार्थियों का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व निभा रहे है।
विद्यालय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं हस्तांतरण में सहायक है।
विद्यालय परिवार और वाह्य जीवन को जोड़ने वाली कड़ी है।
विद्यालय को विद्यार्थियों के बहुमुखी प्रतिभा विकास का महत्वपूर्ण साधन समझा जाता है।
राज्य के आदर्शों और विचारधाराओं को फैलाने के लिए विद्यालय को अति महत्वपूर्ण साधन माना गया है।

इसलिए हम कह सकते हैं कि किसी राष्ट्र के स्कूल उसके जीवन का एक हिस्सा हैं, जिसका विशेष कार्य उसकी आध्यात्मिक शक्ति को मजबूत करना, उसकी ऐतिहासिक निरंतरता को बनाए रखना, उसकी पिछली सफलताओं को संरक्षित करना और उसके भविष्य को सुनिश्चित करना है।

आशा करता हु की आपको यह मेरा विद्यालय पर निबंध जरूर पसंद आया होगा.

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