आज में आपको भ्रष्टाचार के बारे में Bhrashtachar essay in hindi के रूप में कहूँगा. में आशा करता हु की आपको ये Bhrashtachar essay in hindi जरूर पसंद आएगा. अगर आपको ये Bhrashtachar essay in hindi से कुछ पसंद आए तो आप एक बार इसे ग्रीष्म ऋतु पर निबंध भी पढ़े.
भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar essay in hindi)

भ्रष्टाचार एक ऐसा जहर है जो देश, संप्रदाय, समाज और परिवार के कुछ लोगों के दिमाग में बैठ गया है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिए सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी की जाती है। किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था क्यों न हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ रहा है और यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का बड़ा कारण बन चूका है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में बाधा बनते जा रहा है।
भ्रष्टाचार की जड़े
भ्रष्टाचार से व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति, शक्ति और सत्ता का गलत इस्तेमाल अपनी आत्म संतुष्टि और निजी स्वार्थ की प्राप्ति के लिए करता है। इसमें सरकारी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर फायदा पाने की कोशिश होती है। भ्रष्टाचार की जड़े समाज में गहराई से परिपूर्ण हो चुकी है और लगातार फैल रही है। ये कैंसर जैसी बीमारी की तरह है जो बिना इलाज के खत्म नहीं होगी। इसका एक सामान्य रुप पैसा और कीमती चीजें लेकर काम करना दिखाई देता है। कुछ लोग अपने फायदे के लिए दूसरों के पैसों का गलत इस्तेमाल करते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त होते है और साथ ही अपनी छोटी सी इच्छा पूर्ति के लिए किसी भी हृद तक जा सकते है।
इंसान के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है
हम सभी भ्रष्टाचार से अच्छे तरह वाकिफ है और ये अपने या किसी भी देश के लिए में नई बात नहीं है। इसने अपनी जड़ें गहराई से लोगों के दिमाग में बना ली है। ये एक धीमे जहर के रुप में प्राचीन काल से ही समाज में रहा है। ये मुगल साम्राज्य के समय से ही मौजूद रहा है और ये रोज अपनी नई ऊँचाई पर पहुँच रहा है साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों के दिमाग पर हावी हो रहा है। समाज में सामान्य होता भ्रष्टाचार एक ऐसा लालच है जो इंसान के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है और लोगों के दिलों से इंसानियत और स्वाभाविकता को खत्म कर रहा है।
भ्रष्टाचार के कई प्रकार
भ्रष्टाचार कई प्रकार का होता है जिससे अब कोई भी क्षेत्र छुटा नहीं है चाहे वो शिक्षा, खेल, या राजनीति कुछ भी हो। इसकी वजह से लोग अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझते। चोरी, बेईमानी, सार्वजनिक संपत्तियों की बरबादी, शोषण, घोटाला, और अनैतिक आचरण आदि सभी भ्रष्टाचार का ही हिस्सा है। इसकी जड़े विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों में व्याप्त है। समाज में समानता के लिए अपने देश से भ्रष्टाचार को पूरी तरह से मिटाने की जरुरत है। हमें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति निष्ठावान होना चाहिये और किसी भी प्रकार के लालच में नहीं पड़ना चाहिये इसी से भ्रष्टाचार ख़तम होंगे।
भ्रष्टाचार एक बीमारी
वर्तमान में ‘भ्रष्टाचार’ फैलने वाली बीमारी की तरह हो चुका है जो समाज में हर तरफ दिखाई देता है। भारत के कई महान नेता जिन्होंने अपना पूरा जीवन भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराईयों को मिटाने में लगा दिया, लेकिन ये शर्म की बात है कि आज उनके दिखाये राह को अनदेखा कर हम अपनी जिम्मेदारियों से भागते है। धीरे- धीरे इसकी पकड़ राजनीति, व्यापार, सरकार और आमजनों के जीवन पर बढ़ती जा रही है। लोगों की लगातार पैसा, ताकत, पद और आलीशान जीवनशैली की भूख की वजह से ये घटने के बजाय दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।
भ्रष्टाचार के क्या कारण होते हैं?
- देश का कमजोर कानून– भ्रष्टाचार को लेकर ओर भी ज्यादा कङे कानून बनाने जरूरी है।
- लालच या स्वार्थ– अधिकतर भ्रष्टाचारी लोभ और स्वार्थ में आकर भ्रष्टाचार करते हैं। इस तरह के लोग अपने लालच में अंधे होकर गरीब, लाचार और बेसहारा लोगों का हक छिनने से नहीं कतरातें।
- सामाजिक और आर्थिक प्रतिष्ठा– लोगों में सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक सम्पन्नता हासिल करने की होङ-सी लगी हुई है। कोई भी व्यक्ति इन दोनों मामलों में किसी से पीछे नहीं होना चाहता। यही वजह है कि वे इस प्रतिष्ठा को हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं।
- पद और प्रतिष्ठा– राजनीति में पद व औहदे के हिसाब से लोगों को तौला जाता है। और उच्चतम पद को हासिल करने के लिए व्यक्ति खुद को भ्रष्ट बना लेता है।
- ईर्ष्या– दुसरों की प्रगति से जलना प्रत्येक इंसान की फितरत होती है। ईर्ष्या की भावना का शिकार हुआ व्यक्ति अक्सर भ्रष्टाचार की राह में चल देता है।
- असंतोष– कई बार ऐसा भी होता है जब व्यक्ति किसी असंतोष या अभाव के चलते भ्रष्टाचार को अपना लेता है।
भारत के सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटाले
- बोफोर्स घोटाला – 64 करोड़ रुपये
- यूरिया घोटाला – 133 करोड़ रुपये
- चारा घोटाला – 950 करोड़ रुपये
- शेयर बाजार घोटाला – 4000 करोड़ रुपये
- सत्यम घोटाला – 7000 करोड़ रुपये
- स्टैंप पेपर घोटाला – 43 हजार करोड़ रुपये
- कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला – 70 हजार करोड़ रुपये
- 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला – 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये
- अनाज घोटाला – 2 लाख करोड़ रुपए (अनुमानित)
- कोयला खदान आवंटन घोटाला – 12 लाख करोड़ रुपये
भ्रष्टाचार बहुत बुरी समस्या है
पैसों की खातिर हम लोग अपनी वास्तविक जिम्मेदारी को भूल चुके है। सभी लोगों को ये समझना होगा कि पैसा ही सबकुछ नहीं होता साथ ही ये एक जगह टिकता भी नहीं है। हम इसे जीवनभर के लिए साथ नहीं रख सकते, ये केवल हमें लालच और भ्रष्टाचार देगा। हमें अपने जीवन में मूल्यों पर आधारित जीवन को महत्व देना चाहिये ना कि पैसों पर आधारित। ये सही है कि सामान्य जीवन जीने के लिए ढ़ेर सारे पैसों की आवश्कता होती है जबकि सिर्फ अपने स्वार्थ और लालच के लिए इंसान भ्रस्टाचारी बन जाता है। जेसा कि हम सभी जानते है कि भ्रष्टाचार बहुत बुरी समस्या है। इससे व्यक्ति के साथ-साथ देश का भी विकास और प्रगति रुक जाता है। ये एक सामाजिक बुराई है जो इंसान की सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक क्षमता के साथ खेल रहा है। पद, पैसा और ताकत के लालच की वजह से ये लगातार अपनी जड़े गहरी करते जा रहा है। अपनी व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए शक्ति, सत्ता, पद, और सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग है भ्रष्टाचार। सूत्रों के मुताबिक, पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के मामले में भारत का स्थान 85वाँ है जिससे आज देश में अशिक्षित और गरीबी की संख्या बढ़ती जा रही है।
निष्कर्ष
भ्रष्टाचार एक वैश्विक गंभीर समस्या बन चुका है, भ्रष्टाचार देश के विकास का सबसे बड़ा रुकावट है, हम सभी को अपने देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का संभव प्रयास करना चाहिए यह हम सभी देशवासी का कर्तव्य है, हमें भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोगों को जागरूक करना चाहिए और लोगों को भ्रष्टाचार के नुकसान से अवगत करवाना चाहिए।
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए केवल सरकार ही नहीं बल्कि सामाजिक, धार्मिक एवं स्वयंसेवी सभी संस्थाओं को एकजुट होना चाहिए , सभी को संयुक्त रूप से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करनेवाले व्यक्ति या तत्वों का विरोध करना चाहिए।
में आशा करता हु की आपको ये भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar essay in hindi) जरूर पसंद आया होगा.