आज में आपको हमारे भारतीय किसान के बारे में कहूँगा.Bhartiya kisan par nibandh के जरिए हम आपको किसान किस हालात से गुज़र रहे है उनके बारे में जानकारी दूंगा. में उम्मीद करता हु की आपको ये भारतीय किसान पर निबंधजरूर पसंद आएगा. अगर ये Bhartiya kisan par nibandh पसंद आए तो एक बारे ये Aatankwad Par Nibandh भी पढ़े.
भारतीय किसान पर निबंध (Bhartiya kisan par nibandh

भारत का मेहनतकश किसान अपने देश की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान अपनी मेहनत से देता है। किसान भाइयों के दिन-रात की मेहनत की वजह से उनके खेत हरी भरी फसलों से लहलहाते हैं। भारतीय किसान शहरों से दूर गांव में अपने घर और खेतों के बीच अपनी पूरी जिंदगी व्यतीत कर देता है। आधुनिक तकनीकों के अविष्कार की वजह से खेती का काम पहले से ज्यादा त्वरित गति से और अच्छे से होने लगा है।
लेकिन खेती के लिए सबसे आवश्यक बारिश किसान के लिए वरदान साबित होती है भारत में खेती का अधिकांश हिस्सा आज भी मौसमी बरसात के ऊपर आश्रित रहता है सिंचाई के अलग-अलग तरीकों की जानकारी के बावजूद किसान इसे अपनाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। क्योंकि उनके पास इन तकनीकों को इस्तेमाल करने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं होती है।
किसान की छवि और महत्व
किसान हम भारतीयों के लिए अनाज उगाता है फिर भी भारत में कुछ लोग किसानों को गवार समझते हैं और उन्हें बहुत नीचा समझा जाता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, हमारे देश में हर व्यक्ति एक समान है, और कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है, और हमारे देश के लिए दो ही लोग ऐसे हैं जो बहुत मेहनत कर रहे हैं पहले जवान है और दूसरे किसान हैं इसीलिए कहा गया है।
जय जवान जय किसान
क्योंकि जवान देश की सीमा पर रहकर अपने मातृभूमि की रक्षा करता है और किसान उस देश में रहकर सभी देशवासियों के लिए अन्न उगाता है जिससे सभी लोगों का पेट भरा जा सके।
और किसान बहुत ही ज्यादा मेहनत करता है तब जाकर कोई अनाज तैयार होता है, और हमारे देश में अनाज की बहुत ज्यादा बर्बादी भी हो रही है अगर उस अनाज के पीछे कोई मेहनत की कद्र कोई करें तो वह अनाज नहीं फेकेगा।
भारतीय किसान की समस्या
भारतीय किसानों कि इस दयनीय दशा के कई कारण हैं-
जिसमें प्रमुख –
- फसल की कीमत
किसान दिन रात कड़ी मेहनत कर आनाज उगाता है, किंतु उन्हें उनकी फसल का उच्च मूल्य नहीं मिलता है, जिस प्रकार व्यापारी अपने उत्पादों का एक निश्चित मूल्य तय करते हैं, और उसी मूल्य में उस वस्तु को बेचते हैं, परंतु अनाज उगाने वाला किसान अपनी फसलों का मूल्य खुद तय नहीं करता है, बल्कि व्यापारी तय करते हैं। जिसके कारण किसानों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
- किसानों पर कर्ज
भारत के ज्यादातर किसान आज भी कर्ज में डूबे है, वे प्रत्येक वर्ष महंगे भाव में खाद व बीज खरीदते है, ओर उनका इस्तेमाल करते है, जिसके कारण उनके सिर पर कई सारा कर्ज इक्कठा हो जाता है, ओर चूंकि किसानों की फसल का भाव उतना नहीं आता है, ओर कई बार प्रकृति के प्रकोप के कारण किसानों की साल भर की मेहनत बर्बाद हो जाती है, जैसे सर्वाधिक ठंड के कारण कई बार फसल जल जाती है, अधिक पानी गिरने के कारण फसलें खराब होने लगती है, और कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी फसलें खराब हो जाती है, चूंकि किसानों के पास आमदनी का एक ही जरिया होता है, ओर वो भी नष्ट हो जाता है, जिस कारण किसान अपना कर्ज चुका नही पाता जिसके कारण हजारों किसान प्रतिवर्ष आत्महत्या कर लेते है।
- शिक्षा और पूंजी का अभाव
शिक्षा और पूंजी (धन, पैसे) के कमी के कारण किसान समय पर फसलों में खाद्य, सिंचाई और दवा का प्रयोग नहीं कर पाते, अशिक्षित होने के कारण यह कृषि के वैज्ञानिक तरीकों से अवगत नहीं है, जिसका सबसे बुरा असर कृषि पर पड़ता है।
- सरकार भी कर रही है प्रयास
आज भी ज्यादातर किसान अशिक्षित है, जिस कारण उन्हें आधुनिक खेती की जानकारी कम है, जिस कारण वह आधुनिक खाद व नई तकनीक का प्रयोग नही कर पाते है, जिस कारण सरकार किसानों को आधुनिक कृषि के बारे में जानकारी दे रही है, ओर उन्हें डिजिटल बनाने का प्रयास कर रही है,
- किसान खेती को उत्तम नही मानते
जहां एक डॉक्टर अपने बेटे या बेटी को डॉक्टर बनाना चाहता है, वकील अपने बेटे या बेटी को वकील बनाना चाहता है, ओर एक इंजिनियर अपने बेटे या बेटी को इंजिनियर बनाना चाहता है, परंतु देश का पेट पालने वाला किसान अपने बेटे को किसान बनाना नहीं चाहता है, वह अपने बेटे को पड़ा-लिखा कर डॉक्टर या इंजिनियर बनाना चाहता है किंतु किसान नही क्योंकि वह नहीं चाहता की जो जिंदगी उन्होंने जी है वह उनके बेटे को मिले।
इसके अलावा बाढ़ सूखा आदि एवं प्राकृतिक आपदाएं भी किसानों की दुर्दशा का प्रमुख कारण है।
अभावमय जीवन
इतना अधिक परिश्रम करने पर भी उसका जीवन अभावों से परिपूर्ण है। वह कच्चे मकानों में रहता है। सादा भोजन करता है। वह आमतौर पर घर का बुना हुआ खद्दर पहनता है। वह इतना निर्धन होता है कि अचानक आ जाने वाले छोटे-मोटे खर्चों को भी वहन नहीं कर सकता है। शादी-ब्याह का अवसर हो या बीज बोने का अवसर हो उसे महाजन से कर्ज लेना ही पड़ता है। जिसे वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी उतार नहीं पाता है। वह प्रायः अशिक्षित रहता है जिसका अनेक लोग फायदा उठाते हैं।
किसानों की स्थिति में सुधार के उपाय
भारतीय किसानों द्वारा उत्पादित फसलों का उचित मूल्य मिलना चाहिए। उन्हें दलालों से बचाना चाहिए। सभी अनाज का मूल्य तय कर बेचा जाना चाहिए। सरकार खुद खाद्यान्न खरीदकर किसानों को दलालों से बचा सकती है।
किसानों को कृषि उत्पादन के परम्परागत तरीकों को बंद करने और खेती के नए तरीकों को करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। आज वैज्ञानिक खेती से कम भूमि पर अधिक उपज प्राप्त होती है। यहां के कृषि वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन न मिलने के कारण वे दूसरे देशों की शरण में जाते हैं और अपने ज्ञान का लाभ उन तक पहुंचाते हैं।
अतः कृषि वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन देकर अपने ही देश में इनका लाभ उठाया जा सकता है। किसानों को बीज एवं खाद खरीदने के लिए बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। शिक्षा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और किसानों के बीच फैलाया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
आज भारतीय किसान का जीवन संक्रमण काल से गुजर रहा है। एक ओर वह शिक्षित हो गया है, खेती के लिए नये उपकरणों और सघन खेती करने के साधनों का प्रयोग करता है। जिससे आर्थिक सम्पन्नता की ओर आगे है। रहन-सहन में नागरिकता की स्पष्ट छाप उसके जीवन पर प्रकट हो रही है, तो दूसरी ओर उसमें अनुशासनहीनता व उद्ण्डता और बेईमानी, चालाकी और आधुनिक जीवन की विषमताएँ, कुसंस्कार और कुरीतियाँ घर कर रही हैं । अब उसके बेटे-पोते किसानी से नाता तोड़कर बाबू बनने लगे हैं । खेतों की सुगंध युक्त हवा में उन्हें धूल अधिक दिखाई देने लगी है, जिससे वस्त्र खराब होने का भय है। इस कठोर परिश्रमी, धर्मभीरु और स्वाभिमानी भारतीय कृषक का जीवन भविष्य में किन विचिन्न प्राराओं में प्रवाहित होगा, यह कहना कठिन है। जिस दिन देश के किसानों के जीवन से परेशानी समाप्त होगी वह दिन सभी किसानों के लिए गौरव तथा प्रसन्नता का दिन होगा।
में आशा करता हु की आपको ये Bhartiya kisan par nibandh जरूर पसंद आया होगा.