दोस्तों आज में आपको मेरा गाँव पर निबंध (mera gaon nibandh) के बारे में बताने जा रहा हु. में आशा करता हु की आपको यह mera gaon nibandh जरूर पसंद आएगा.
अगर आपको ये मेरा गाँव पर निबंध (mera gaon nibandh) पसंद आए तो आप एक बार यह नदी की आत्मकथा भी पढ़े.
मेरा गाँव पर निबंध (mera gaon nibandh)

मेरे गाँव का नाम रामनगर हैं. मेरा गाँव छोटा है लेकिन हरियाली से भरा हुआ हैं. खेती मेरे गाँव का मुख्य व्यवसाय हैं. हमारे गाँव में गन्ने की फसल बहुत होती हैं. इसलिए यहाँ पर शक्कर और गुड़ बनाने के कई कारखाने हैं. जो लोग खेती नहीं करते उन्हें कारखानें में नौकरी मिलती हैं.
मेरा गाँव खुले मैदानों और पहाडियों के मध्य है. जहा हम सभी प्रेम के साथ रहते है. मेरे गाँव में हरे भरे पेड़ पौधों मैदान और नदी झरने है, जो हमारे वातावरण को शुद्ध बनाते है.
मेरा गाँव शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है. मेरे गाँव में हर वस्तु की व्यवस्था उपस्थित है. जिस कारण हमें शहर जाने को कोई जरुरत नहीं पड़ती है.
हम अपने गाँव तक ही सिमित रहते है. हमारे गाँव के खेत खलियान बाग़ बगीचे हमारा जीवन है. खेती करना हमारा प्रमुख व्यवसाय है. हम हर समय खेती पर निर्भर रहते है.
हमारे गाँव में हमें हर सुविधा मिलती है. अनाज से लेकर अन्य वस्तुओ का निर्माण हम गाँव में ही कर लेते है. मेरे गाँव में एक सीनियर विद्यालय तथा चार प्राथमिक विद्यालय भी है. जहा हम शिक्षा प्राप्त करते है. विद्यालय के साथ साथ यहाँ अस्पताल, मंदिर और कार्यालय भी है.
मेरे गाँव में 5 हजार लोग निवास करते है. मेरे गाँव की एकता सबसे श्रेष्ठ है. यहाँ धर्म जाति का कोई भेदभाव नहीं होता है. हमारे यहाँ वृक्षारोपण को बड़ा महत्व दिया जाता है.
हम हर जन्मदिन पर एक वृक्ष लगाते है. जिस कारण आज हमारे गाँव में पेड़ बहुयात संख्या में उपस्थित है. हमारे गाँव में आज भी यातयात के साधना के रूप में हम ऊंट और बैल का प्रयोग करते है. इंधन में रूप में लकडियो का प्रयोग अधिक करते है.
हमारे गाँव में जागरूकता काफी बेहतर है. इसलिए हम हर कार्यक्रम को आसानी से सफलता तक पहुंचा देते है. आज हमारे सम्पूर्ण गाँव में शौचालय बनाए गए, जिस कारण हमारा गाँव खुले में शौच से मुक्त गाँव है. इस पर्व हमें गर्व है.
मेरे गाँव में भी मनोरंजन का साधान खेल है. जिस कारण हमारे यहाँ मोबाइल को इतना महत्व नहीं दिया जाता है. जितना शहरों में दिया जाता है.
हमारे यहाँ के सभी लोग स्वस्थ रहते है. जिसका प्रमुख कारण खेलना है. हमारे गाँव में हर महीने खेल की प्रतियोगिता होती है. जिस कारण हमारे गाँव के सभी नागरिक अच्छे खिलाडी है. और हम सभी खेल में अधिक रूचि रखते है.
कृषि हमारा सबसे बड़ा व्यवसाय है. हम कृषि पर आधरित जीवन व्यापन करते है. सुबह उठकर हम खेत में जाते है. तथा रात को वापस आते है. दिनभर खेतो में मेहनत करते है. जिसका परिणाम हमें फसल पकने के बाद मिलता है.
मेरा गाँव बहुत सुन्दर और स्वच्छ है. हमारा गाँव अमन का प्रतीक है. हम बड़े बुजुर्गो को विशेष महत्व देते है. तथा उनके अनुसार चलते है. हमारे गाँव का मुखिया भी बड़े बुजुर्ग होते है. जो अपने अनुभव के अनुसार गाँव का संचालन करते है. मै मेरे गाँव से और मेरे गाँव वासियों से बहुत खुश हूँ. मै सात जन्म ऐसे ही गाँव में जीवन जीना चाहता हूँ.
भारत को गाँवों का देश कहा जाता हैं, क्योंकि देश की कुल आबादी का दो तिहाही भाग गाँवों में बसता हैं. सभी को अपना गाँव प्रिय होता हैं. मुझे भी अपने गाँव से बेहद लगाव हैं. मेरे गाँव का नाम सुमेरपुर हैं जो पश्चिम राजस्थान के जोधपुर जिले के अंतर्गत आता हैं. शहर से महज 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित हैं.
छुट्टियों या तीज त्यौहार के मौके पर मुझ जैसे लाखों लोग गाँव जाने का हर अवसर का पूरा लाभ उठाते हैं. मेरा पूरा बचपन गाँव में ही बीता, स्कूली शिक्षा भी वही हुई, मेरा परिवार आज भी अपने इसी गाँव में रहता हैं. मेरे गाँव की कुल आबादी 4 हजार के आस पास हैं.
गाँव में बसने वाले अधिकतर लोगों की आजीविका का साधन कृषि और पशुपालन हैं. कुछ लोग सुनारी, कुम्हारी लोहारी और नाई के काम में भी लगे हुए हैं.
शहरी आबोहवा से दूर मेरा गाँव प्राकृतिक रम्य स्थान हैं. जहाँ उतनी हाईटेक सुविधाएं तो नहीं हैं मगर आम आदमी का जीवन आसानी से चल जाता हैं. गाँव में किराणे से लेकर हर जरूरत की चीज की दुकाने हैं.
गाँव के लोगों के लिए एक अस्पताल एक सरकारी विद्यालय, डाकघर, बैंक और पंचायत घर हैं. गाँव का पुराना कुआ आज भी हमारी प्यास बुझाता हैं.
शांति, सद्भाव और मेलजोल के सामाजिक मूल्य आज भी यहाँ के लोगों में हैं. प्रकृति और पर्यावरण की अहमियत को समझने वाले लोग एक दूसरे की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानते हैं, ऐसा जीवन हैं मेरे गाँव का.
गांव का जीवन
जब जब शहर से गाँव की ओर लौटता हूँ तो एक नयें जीवन का आभास होता हैं. शहर के कोलाहल और गंदगी से दूर रेगिस्तानी भूमि में हरें भरे खेतो के बीच बसा गाँव अमूमन शांत ही रहता हैं.
स्वच्छता मेरे गाँव के लोगों की पहली प्राथमिकता हैं. घर घर पक्के शौचालय बने हुए हैं. कुँए का पानी घर घर नल के जरिये आता हैं. गाँव की गलियों और नालियों की नियमित सफाई की जाती हैं.
न गाँव में अधिक भीड़भाड़ होती हैं न कल कारखानों और वाहनों का प्रदूषण, चारों और हरे भरे पेड़ और खुले खेत गाँव के अच्छे स्वास्थ्य की निशानी हैं. शहरी जीवन से इतर सुखमय और शांतिपूर्ण जीवन का एहसास तो गाँव में ही मिलता हैं.
गाँव के प्रत्येक घर नल से स्वच्छ जल आता हैं. राजस्थान में जल की कमी और अकाल के हालात अमूमन होते हैं. ऐसी विकट परिस्थिति से निपटने के लिए घर में पानी का टांका बनाया जाता हैं.
मेरे गाँव के हर घर में टांका बना होता है जिसमें बरसात के जल का भंडारण किया जाता हैं. गाँव में सुबह के समय का वातावरण बेहद मनभावन लगता हैं पक्षियों के कलरव के साथ सूरज की किरणों को देखने का नजारा बेहद ख़ास होता हैं.
गांव की रचना
हमारे गाँव भारत की आत्मा हैं सच में भारत यही बस्ता हैं. सदियों से भारत में ग्रामीण जीवन आधारित संस्कृति रही हैं. गाँव हमारे पुरखों ने बनाएं है.
शहरों की रचना तो उन्ही लोगों ने की है जिन्हें जीवन में बहुत ज्यादा की चाहत थी. पैसा हो या एशो आराम की अधिक सुविधाओं के चक्कर में गाँवों को छोड़ शहरों में बसनें वालों ने भले ही भौतिक सुख भोगा हो मगर आनन्दमयी जीवन के आधार तो गाँव ही हैं.
प्राकृतिक माहौल में बसे मेरे गाँव में छोटे छोटे सुंदर घर हैं. गाँव में अच्छी सड़क है जिसकी नियमित सफाई भी की जाती हैं. यहाँ 15 घंटे से अधिक बिजली भी मिल जाती हैं.
और गाँव के आसपास के पेड़ पौधे से हरियाली व स्वच्छ वायु भी. गाँव को देखकर लगता है प्रकृति ने मानो प्रकृति ने संतोषी लोगों के जीने के लिए गाँव बनाएं हैं. यहाँ एक आम आदमी के जीने की समस्त सुविधाएं भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं.
गांव का वातावरण
मेरे गाँव के लोग मिलकर एक परिवार की तरह रहते हैं. सभी के सुख दुःख में शामिल होते हैं. यहाँ की अपनी एक सरकार है जिनके मुखिया हमारे सरपंच जी हैं गाँव की अपनी संसद भी है जिसे ग्राम सभा कहा जाता हैं.
अपनी छोटी बड़ी समस्याओं को आपस में बैठकर विचार विमर्श के जरिये सुलझा दिया जाता हैं, ये मेरे गाँव की चौपाल है जो यहाँ न्यायपालिका का कार्य करती हैं.
यहाँ अपराध शून्य वातावरण रहता हैं शराब आदि शहरी बुराइयों से आज तक मेरा गाँव बचा हुआ हैं. अच्छा गाँव का वातावरण है इसलिए लोग बीमार भी बहुत कम बार पड़ते थे. सामान्य ईलाज के लिए गाँव का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी सेवाएं देता हैं.
गांव के काम
शहरों की तुलना में गाँव में आजीविका के सिमित साधन ही हैं. मेरे गाँव के अधिकतर लोग अपने पारम्परिक कार्य से जुड़े हैं. बहुत से लोग कृषि और पशुपालन का कार्य करते हैं.
सुनार, लुहार, बढ़ई, कुम्हार, धोबी, दर्जी माली आदि अपने अपने व्यवसाय में बहुत खुश हैं. कुछ लोग अपने घरों पर ही लघु उद्योग के जरिये आजीविका निर्वहन करते हैं.
मेरा गाँव का वर्णन
जितने गाँवों के लोग बेहतरीन इंसान होते है उतना ही अच्छा यहाँ का वातावरण रहता हैं. गर्मियों के दिनों में लू सर्दियों में मध्यम ठंड और बरसात के दिनों में अच्छी बारिश होती हैं.
गाँव में बारिश को मेहमान की तरह मानकर उनका स्वागत किया जाता हैं. किसान बरखा से बेहद खुश होते हैं. चारों ओर खुशनुमा माहौल हो जाता हैं. सारे लोग अपने कामों में लग जाते हैं.
जहाँ तक नजर जाती हैं हरे भरे खेतों की हरियाली ही नजर आती हैं. मानसून के पूरे सीजन में गाँव अपने काम में पूरी तरह व्यस्त नजर आता हैं. खेतों की फसलें गाँव और शहर के लोगों के पेट भरती हैं.
खुले आसमान के नीचे सोने का लुफ्त गाँव में ही उठाया जा सकता हैं. यहाँ पक्के घर कम हैं मगर अब इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही हैं. मुझे चिंता इस बात की है कि मेरे खुशहाल गाँव कही शहरों की राह पर न चल पड़े.
गाँव का महत्व
एक गाँव का वही महत्व है जो एक इन्सान के शरीर में दिल का हैं. सदियों से एक दूसरे पर आधारित जीवन की यह परम्परा गाँवों तक ही हैं. पूरी तरह से आत्मनिर्भर अवधारणा को संचालित करने वाले गाँवों में भारत की रीढ़ की हड्डी यानी किसान बसते हैं.
जो अन्न उपजाकर पूरे देश का भरण पोषण करते हैं. गाँवों में अब तेजी से आबादी बढ़ रही है सुविधाएं भी बढ़ रही हैं आधुनिक मॉडल और आदर्श गाँवों की ओर मेरा गाँव भी चल पड़ा हैं.
में आशा करता हु की आपको ये मेरा गाँव पर निबंध (mera gaon nibandh) जरूर पसंद आया होगा.