आज में आपको महंगाई की समस्या पर निबंध के बारे में बताने जा रहा हु. महंगाई ये वो है जिससे सभी लोगो को परेशानी होती है फिर चाहे वो अमीर हो या गरीब हो. तो में आशा करता हु की आपको ये महंगाई की समस्या पर निबंध जरूर पसंद आएगा. अगर आपको ये महंगाई की समस्या पर निबंध अच्छा लगे तो आप एक बार ये अंधविश्वास पर निबंध भी पढ़े.
महंगाई की समस्या पर निबंध

महंगाई का अर्थ क्या है?
किसी भी वस्तु और सेवा के मूल्य में बढ़ोतरी तथा मुद्रा की कीमत में धतोत्तरी को महंगाई कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बाजार में बिकने वाली लगभग चीजों का मूल्य आसमान छूने लगता है।
महंगाई एक ऐसी विकट परिस्थिति है, जिसमें एक आम आदमी अपने जरूरत की चीजों को खरीद पाने में असफल रहता है। अब तक जिन वस्तुओं को लोग कम दाम में प्राप्त कर पाते थे, उन्हीं वस्तुओं का दाम बढ़कर दोगुना अथवा इससे भी अधिक हो जाता है।
दिन प्रतिदिन बुनियादी आवश्यकता वाले सामग्रियों का भाव एकाएक बढ़ते ही जा रहा है, जो मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों के लिए सिरदर्द बन चुका है।
आवश्यक वस्तुओं हुई महंगी
कमरतोड़ महंगाई जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि (महंगी) उत्पादन की कमी और माँग की पूर्ति में असमर्थता की परिचायक है। बढ़ती हुई महंगाई जीवन-चालन के लिए अनिवार्य तत्त्वों (कपड़ा, रोटी, मकान) की पूर्ति पए गरीब जनता के पेट पर ईंट बाँधती है, मध्यवर्ग की आवश्यकताओं में कटौती करती है, वही धनिक वर्ग के लिए आय के स्रोत उत्पन्न करती है।
देसी घी तो आँख आँजने को भी मिल जाए तो गनीमत है। वनस्पति देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी बहुत रजत-पुष्प चढ़ाने पड़ते हैं | पेट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल, रसोई गैस की दिन-प्रतिदिन बढ़ती मूल्य-वृद्धि ने दैनिक जीवन पर तेल छिड़ककर उसे भस्म करने का प्रवास किया है। तन ढकने के लिए कपड़ा महंगाई के गज पर सिकुड़ रहा है। सब्जी, फल, दालें और अचार गृहणियों को पुकार-पुकार कर कह रहे हैं – ‘ रूखी सूखी खाय के ठंडा पानी पिए।’ रही मकान की बात, अगर महंगाई की यही स्थिति रही तो लोग जंगल में रहने लगेंगे। दिल्ली की हालत यह है कि दो कमरे-रसोई का सैट तीन-चार हजार रुपये किराये पर भी नहीं मिलता। इतने महंगाई में कैसे गुजरा करेंगे देश के गरीब वर्ग और मध्य वर्ग के लोग।
महंगाई का प्रभाव
बढ़ती हुई महंगाई से निम्न और मध्यम स्तर के लोग काफी प्रभावित होते है। जैसे की खाने पीने की चीजों और ईंधन में अचानक से बढ़ोतरी कर दी जाती है, जिससे लोगो का आर्थिक बजट गड़बड़ा जाता है। लोग सरकार को दोष देने लगते है। स्टील और सीमेंट जैसी उपयोगी चीजों की महंगाई, इनपुट के रूप में इनका उपयोग करने वाले उद्योगों को तगड़ा झटका देती है। वही इसका असर सिर्फ आम जनता को पड़ता है, इसके निर्माता हमेशा फायदे में रहते है।
इतना ही नहीं सरकार हर मास किसी-न-किसी वस्तु का मूल्य बढ़ा देती है। जब कीमतें बढ़ती हैं तो किसी के बारे में नहीं सोचती। दिल्ली बस परिवहन ने किराये में शत-प्रतिशत वृद्धि के परिणामत:दूसरी ओर टैक्सी वालों ने भी रेट बढ़ा दिए। विदेशी कर्ज और उसके सेवा-शुल्क (ब्याज) ने भारत की आर्थिक नीति को चौपट कर रखा है। भारत का खजाना खाली हो रहा है।
महंगाई के कारण
महंगाई के कई कारण है किंतु इसका मुख्य कारण है उत्पादन में कमी। जनसंख्या की रफ़्तार जिस ढंग से बढ़ रही है, उसी हिसाब से उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। व्यापारियों द्वारा जमाखोरी और मुनाफाखोरी भी महंगाई का बड़ा कारण है। काला धन भी महंगाई बढ़ाता है। राजनेताओं की सिद्धांतहीनता और संकल्पहीनता तथा ऊंचे स्तर पर फैला भ्रष्टाचार भी महंगाई बढ़ने का एक बहुत बड़ा कारण है।
अपने देश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर पश्चिमी अर्थशास्त्रियों की नकल पर भारी-भरकम योजनाएं बनाई गईं। जिनके लिए आर्थिक साधन जुटाने के लिए घाटे की अर्थव्यवस्था अपनाई गई, जिसने मुद्रा-स्फीति को जन्म दिया। इन गलत नीतियों के फलस्वरूप महंगाई बढ़ी है।
भारत की आर्थिक नीतियों की विफलता
बढ़ती हुई महंगाई भारत-सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता का परिणाम है। प्रकृति के रोष और प्रकोप का फल नहीं, शासकों की बदनीयती और बदइंतजामी की मुँह बोलती तस्वीर है। काला धन, तस्करी और जमाखोरी महंगाई-वृद्धि के परम मित्र हैं। तस्कर खुले आम व्यापार करता है । काला धन जीवन का अनिवार्य अंग बन चुका है। काले धन की गिरफ्त में देश के बड़े नेताओं से लेकर उद्योगपति और अधिकारी तक शामिल हैं । काले धन का सबसे बुरा असर मुद्रास्फीति और रोजगार के अवसरों पर पड़ता है। यह उत्पादन और रोजगार की संभावना को कम कर देता है और दाम बढ़ा देता है।
विदेशी कर्ज में डूबा देश
एक ओर विदेशी कर्ज बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर व्यापारिक संतुलन बिगड़ रहा है। तीसरी ओर राष्ट्रीयकृत उद्योग निरन्तर घाटे में जा रहे हैं । इनमें प्रतिवर्ष अरबों रुपयों का घाटा भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाही और बेईमान ठेकेदारों के घर में पहुँच कर जन-सामान्य को महंगाई की ओर धकेल रहा है।
गरीब देश की बादशाही-सरकारों के अनाप-शनाप बढ़ते खर्च देश की आर्थिक रीढ़ को तोड़ने की कसम खाए हुए हैं। मंत्रियों की पलटन, आयोगों की भरमार, शाही दौरे, योजनाओं की विकृति, सब मिलाकर गरीब करदाता का खून चूस रही हैं। देश में खपत होने वाले पेट्रोलियम-पदार्थों के कुल खर्च का एक बड़ा हिस्सा राजकीय कार्यों में खर्च होता है, लेकिन प्रचार माध्यमों से बचत की शिक्षा दी जाती है -‘तेल की एक-एक बूँद की बचत कीजिए।
महंगाई के समाधान
यदि कोई समस्या अपने शुरुआती स्तर पर होती है, तो उसे काबू कर पाना बहुत हद तक सरल हो जाता है। यदि भारत की बात की जाए तो महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है।
लेकिन ऐसी बात नहीं है, कि महंगाई को काबू नहीं किया जा सकता। महंगाई को काबू करने के कई सारे रास्ते हैं, जिन पर यदि उचित रूप से अमल किया जाए, तो महंगाई की समस्या का समाधान अवश्य किया जा सकता है।
यह बात तो सभी जानते हैं कि हर वर्ष देश की सरकार विभिन्न नियम कानून लेकर आती हैं। महंगाई के लिए भी कई नीतियां और कानून हर वर्ष बनाए जाते हैं।
लेकिन यह सोचने वाली बात है की सरकारी अर्थ तंत्र महंगाई को अब तक उचित ढंग से नियंत्रित क्यों नहीं कर पा रही है। सर्वप्रथम देश की सरकारों को अपने बजट में कुछ उचित परिवर्तन करने चाहिए जो मध्यम वर्गीय और अन्य लोगों के हित में हो।
सरकार को कुछ अपनी नीतियों में बदलाव लाने होंगे जैसे कि शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े हुए सेवा सामग्रियों पर दूसरे चीजों की तुलना में कम टैक्स लगाना चाहिए। जिससे लोगों को जीवन यापन करने में काफी सहायता मिलेगी।
उपसंहार
महंगाई की वजह से गरीब लोग पहनने के लिए कपड़े नहीं खरीद पाते हैं तथा अपने परिवार एक वक़्त का खाना ठीक से नहीं करा पाते है। महंगाई को कम करने के लिए उपयोगी राष्ट्र नीति की जरूरत है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है उस तरीके से महंगाई को रोकना बहुत ही जरूरी है नहीं तो हमारी आजादी को दुबारा से खतरा उत्पन्न हो जाएगा। हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण देश की बढती जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जा सकता महंगाई कम नहीं होगी। महंगाई की वजह से निम्न वर्ग के लोगों को जरूरत की चीजें नहीं मिल पाती हैं और इससे अपने रोजमरा जीवन में खुशी से जीवन व्यतीत नहीं कर पाते हैं।
में आशा करता हु की आपको ये महंगाई की समस्या पर निबंध जरूर पसंद आया होगा.