दीवाली पर निबंध | diwali par nibandh

भारत में त्योहारों का बहुत महत्व है कोई भी त्योहार हो मन में उमंग और उत्साह भर देता है। दीवाली का त्योहार धन धान्य का त्योहार है इसमे माँ लक्ष्मी जी पूजा की जाती है। दीवाली का त्योहार स्वच्छता का प्रतीक है। हमारे विद्यालय में दीवाली का निबंध हमेशा से पढ़ाया जाता रहा है। इसलिए आज की पोस्ट में आपके लिए दीवाली पर निबंध लेकर आए हैं।

दीवाली पर निबंध

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दीपावली का त्यौहार भारतवर्ष मे बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है यह दीप का त्यौहार है इस दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके आयोध्य वापस लोटे थे तो अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत तेल के दिये जलाकर किया था।

दीपावली या दिवाली हर साल शरद ऋतु में मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है। दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर के महीने में आती है।

इसलिए सभी लोग अपने घरो को दियो से सजाते हैं दीवाली दिन सभी के घरो मे तरह -तरह के पकवान बनते है और सभी लोग एक दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएं देते है और मिठाई और गिफ्ट्स देते है दीवाली के दिन शाम को लक्ष्मी पुजन होता है।

लक्ष्मी पुजन के बाद बच्चे पटाखे चलाते है इस दिन पूरी रात जगमग रहती है। पटाखे त्यौहारो की भूमि के रूप मे जाने वाला महान देश है। यहाँ प्रसिद्ध और सबसे मनाया जाने वाले त्यौहारो मे से एक दीपावली है।

दिवाली हिन्दुओ का एक महत्वपूर्ण त्यौहार हैए जो देशभर मे और साथ ही देश के बाहर हर साल मनाया जा रहा है। यह रोशनी का त्यौहार है, जो की लक्ष्मी के घर आने और बुराई से सच्चाई की जीत का प्रतीक है।

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इस दिन भगवान राम-सीता और लक्ष्मण १४ वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लोटे थे, तो इस खुशी में अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था, तभी से दीवाली मनाने की प्रथा आरंभ हुई। यही कारण है की इसे प्रकाश का महोत्सव कहा जाता है।

इस दिन भगवान राम ने लंका के राक्षस राजा रावण को मार डाला ताकि पृथ्वी को बुरी गतिविधियो से बचाया जा सके यह हिन्दू कैलेंडर द्वारा हर साल कार्तिक के महीने की अमावस्या पर मनाया जाता है। दीवाली के दिन हर कोई खुश होता है और एक दूसरे को बधाई देता है।

लक्ष्मी जी का स्वागत करने के लिए लोग अपने घरो, कार्यालयों और दुकानों को साफ करते है और सफेदी भी करवाते है वे अपने घरो को सजाते है और दीपक जलाकर माता लक्ष्मी का स्वागत करते हैं दीवाली के त्यौहार मे पाँच दिन का जश्न है। जिसे आनंद और प्र्सन्नता के साथ मनाया जाता है।

1- पहला दिन धनतेरस के रूप मे जाना जाता
2- दूसरे दिन नारक चतुदर्शी या छोटी दीवाली
3- तीसरा दिन मुख्य दीपावली या लक्ष्मी पूजा
4- चौथे दिन गोबर्धन पूजा
5- पांचवे दिन भैया दौज

पहला दिन धनतेरस

लोग धनतेरस के दिन खरीदारी करना पसंद करते हैं, लोग अपने घरों में कुछ बर्तन जरूर ले जाते हैं, साथी लोग भी इस दिन सोने और चांदी के आभूषण खरीदना पसंद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदारी करने से घर में सुख समृद्धि आती है।

दूसरा दिन नरक चतुर्दशी

क्योंकि इसी दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। इस दिन को कुछ लोग छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन घर के बाहर 5 दीपक जलाए जाते हैं।

तीसरा दिन मुख्य दीपावली या लक्ष्मी पूजा

दिवाली के दिन शाम को सभी लोग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन घर में दीया जलाकर रोशनी की जाती है। भारत में इस दिन रात के समय सबसे अधिक प्रकाश होता है।

चौथे दिन गोबर्धन पूजा

क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध के कारण हुई मूसलाधार बारिश से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर उठा लिया था। इस दिन महिलाएं घर के बाहर गाय का गोबर रखकर पारंपरिक पूजा करती हैं।

पांचवे दिन भैया दौज

इस दिन बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती है और साथ ही तिलक लगाकर मिठाई खिलाती है और बदले में भाई उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं और उन्हें अच्छे उपहार भी देते हैं।

दीवाली समारोह के पाँच दिनो मे से प्रत्येक का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वाश है। दीवाली समारोह के पाँच दिनो मे से प्रत्येक का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक विश्वाश है। दीवाली समारोह हमारे देश के कोने-कोने में मनाया जाता हैं।

दीपावली का त्यौहार लोगो के बीच अपनापन और एकता की भावना को उजागर करता है, भारत एक ऐसा देश हैं जो हज़ारो सालों से दीवाली को हर्ष और उल्लास के साथ मनाता आ रहा हैं और आगे भी हमेशा मनाता रहेगा, क्यूकी यह हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है।

“जब तक रहे ये दुनिया, जब तक चले संसार
हर घर में मनाया जाए दीवाली का त्यौहार ,
दुख दर्द उदासी से हर दिल महरूम रहे
पग पग उजियालों में जीवन की ज्योति जले “

दीपावली का अर्थ

दीपावली शब्द संस्कृत से लिया गया है। दीपावली दो शब्दों दीप और अवली से मिलकर बना है जिसका अर्थ है दीपों से सजा हुआ। दीपावली को रोशनी का त्यौहार और दीपोत्सव भी कहा जाता है क्यूकी इस दिन असंख्य दीपक अपनी रोशनी से जगमगाते हुऐ अमावस्या की रात को दिन में बदल देते हैं।

दीपावली का यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, इस पर्व को शीत ऋतू के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है।

दीपावली पर्व का महत्व

भारत में दीवाली को बहुत ही सुंदर और पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है, क्यूकी इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावन को मारकर हमे बुराई पर अच्छी की जीत का संदेश दिया था।

और जब भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में लाखों दीपक जलाए, जिससे अमावस्या की काली रात दिल में बदल गई।

उसी दिन की पावन स्मृति में यह दिन बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था, इसीलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और घर में सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

दीपावली की तैयारियां-

दिवाली की तैयारी लोग दशहरे से ही शुरू कर देते हैं। दिवाली से पहले सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और घर को रंग-रोगन करवाते हैं।दीपावली के अवसर पर लोग अपने लिए नए कपड़े, मोमबत्तियां, खिलौने, पटाखे, मिठाईयां, रंगोली बनाने के लिए रंग और घरों को सजाने के लिए बहुत सा सामान खरीदते हैं।

दिवाली के दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं, घरों को सजाने के लिए बिजली की बत्तियों का प्रयोग किया जाता है।

दिवाली भारत में खुशियों और मनोरंजन का सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक खुशी की लहर दौड़ जाती है और पटाखों की आवाज से पूरा आसमान गूंज उठता है।

चारों तरफ होगा खुशियो का नज़ारा
सजेगा हर आँगन दीपक का उजाला ।
डलेगी रंगो की रागोली हर एक द्वार
ऐसा है हमारा दीपावली का त्यौहार ।

दीपावली का वर्णन-

दीपावली त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक चलने वाला सबसे बड़ा त्यौहार होता है ।दिवाली से तीन दिन पहले धनतेरस आता है।

दीपावली के दिन लोग अपने घर के पुराने बर्तनों को बेचतें हैं, नयी-नयी वस्तुएँ खरीदतें हैं और घर की पुताई करतें है, धनतेरस के दिन व्यापारी अपने नये बहीखाते बनाते हैं, नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना अच्छा माना जाता है, अमावस्या के दिन मा लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है।

पूजा में खील-बताशे का प्रसाद चढाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। असंख्य दीपों की रंग-बिरंगी रोशनियाँ मन को मोह लेती हैं।दुकानों, बाजारों और घरों की साज-सज्जा दर्शनीय रहती है।

अगले दिन आपसी मुलाकात का दिन है। एक दूसरे को गले लगाकर दीपावली की बधाई दीजाती है। गृहिणियां अतिथियों का स्वागत करती हैं। बड़े-छोटे, अमीर-गरीब का भेद भुलाकर लोग मिलजुलकर इस पर्व को मनाते हैं।

स्वच्छता का प्रतीक

दीपावली जहां आंतरिक ज्ञान का प्रतीक है, वहीं बाहरी स्वच्छता का भी प्रतीक है। मच्छर, खटमल, पिस्सू आदि धीरे-धीरे घरों में अपना घर बना लेते हैं। मकड़ी के जाले लग जाते हैं, इसलिए दिवाली से कई दिन पहले घरों की सफाई, पेंटिंग, सफेदी और सफेदी शुरू हो जाती है। सफाई से पूरा घर साफ हो जाता है।

उपसंहार-
दीपावली हमारा धार्मिक त्यौहार है। दीपावली का पर्व सभी पर्वों में एक विशिष्ट स्थान रखता है। हमें अपने पर्वों की परम्पराओं को हर स्थिति में सुरक्षित रखना चाहिए। परम्पराएँ हमें उस पर्व के आदिकाल में पहुंचा देती हैं जहाँ पर हमें अपनी आदिकालीन संस्कृति का ज्ञान होता है।

सिख धर्म- सिख धर्म के लोग दिवाली इस लिए मानते हैं क्योंकि इसी दिन ही 1577 में पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का शिलन्यास हुआ था और इसी दिन ही सिखों के छठे गुरु गुरू हरगोबिन्द साहब जी को जेल से रिहा किया गया था।

दिवाली कैसे मनाते हैं
दिवाली का नाम सुनते ही सबके चेहरे पर एक अलग ही खुशी है। इस दिन सभी लोग अपने घरों, दुकानों आदि की साफ-सफाई करते हैं। उन्हें नए रंग से रंगते हैं। इस दिन घरों को दीयों से सजाया जाता है और यह त्योहार 5 दिनों तक चलता है।

लोग अपने घरों में नई चीजें खरीदते हैं और कई अन्य सामान, कपड़े, वाहन और जरूरी चीजें खरीदते हैं। इस दिन को घर में लक्ष्मी के आने का संकेत माना जाता है और इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जाती है।

घरों में मिठाइयां बनाई जाती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है।

दिवाली त्यौहार का इतिहास

दिवाली का त्योहार भारत में प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है। अलग-अलग राज्यों के लोग इस त्योहार के इतिहास को अलग-अलग मानते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना ​​है कि जब भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्या के लोगों ने उनके स्वागत के लिए घी के दीपक जलाए थे।

अयोध्या की हर सड़क को सुनहरे फूलों से सजाया गया था। जिस दिन भगवान राम अयोध्या लौटे, उस दिन काली अमावस्या की रात थी, जिसके कारण वहां कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, इसलिए अयोध्या के लोगों ने वहां दीपक जलाए। इस दिन को अंधकार पर प्रकाश की जीत भी माना जाता है।

जैन धर्म के लोग दीपावली का त्योहार इसलिए मनाते हैं क्योंकि इस दिन चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और संयोग से इसी दिन उनके शिष्य गौतम को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

सिख धर्म के लोग भी इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाते हैं, वे इस त्योहार को मनाते हैं क्योंकि इस दिन 1577 में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की आधारशिला रखी गई थी और साथ ही सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह जी को भी जेल से रिहा किया गया था।

आशा करता हु की आपको ये दीवाली पर निबंध जरूर पसंद आया होगा.

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