डाकघर पर निबंध | Post Office Essay in Hindi

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डाकघर पर निबंध

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डाकघर केंद्र सरकार द्वारा संचालित एक संस्थान है। डाकघर का मुख्य कार्य पत्रों, बीमा पत्रों, पंजीकृत पत्रों, और मनी ऑर्डर और लोगों को पोस्ट कार्ड, लिफाफे और टिकटों को बेचना है। हर शहर और यहां तक कि दूरदराज के गांवों में, इन चीजों को स्वीकार करने और वितरित करने के लिए डाकघर हैं। डाकघर के प्रमुख को पोस्ट मास्टर कहा जाता है।

पोस्टमैन भुगतानकर्ता को पत्र और धन आदेश प्रदान करता है। वे घर से घर जाते हैं। बाहर भेजे गए अक्षरों को पोस्ट करने के लिए डाकघर में एक पत्र बॉक्स है। इन चीजों के अलावा, कुछ डाकघरों में एक टेलीफोन और टेलीग्राम सुविधा भी है। बचत बैंक खाते उनके साथ खोले जा सकते हैं। संचयी जमा, समय जमा और नकद प्रमाण पत्र भी उनके साथ उपलब्ध हैं। डाकघर में जमा और निकासी की जाती है। पहले, पत्र घोड़ों द्वारा भेजे गए थे लेकिन आजकल ये रेलवे, परिवहन और वायुमार्गों द्वारा भेजे जाते हैं। नतीजतन, लंबी दूरी से कम समय में गंतव्य तक पहुंचने के माध्यम से भेजे गए पत्र और अन्य लेख।

डाकघर के कार्य

  • यहाँ डाक प्राप्त कर गन्तव्य तक पहुंचाने एवं बाहर से आई डाक को वितरित करने का कार्य किया जाता हैं.
  • यहाँ से प्रमुख दस्तावेजों को रजिस्ट्री के माध्यम से भेजा जाता हैं.
  • दूरस्थ स्थानों पर यदि किसी व्यक्ति को रूपया अपने रिश्तेदारों को भेजना हो तो मनीआर्डर द्वारा भेजा जा सकता हैं. मनीआर्डर पोस्ट ऑफिस द्वारा जारी किया गया आदेश हैं जो डाकघर की एजेंसी के माध्यम से रूपये के भुगतान के लिए किया जाता हैं. एक मनीआर्डर में अधिकतम पांच हजार रूपये की राशि के भुगतान का आदेश किया जा सकता हैं. यह सेवा 2015 में बंद कर दी गई हैं.
  • अंतर्राष्ट्रीय मनी ट्रान्सफर सेवा– यह सेवा ऐसे आम आदमी को विदेश में रहने वाले अपने सम्बन्धियों और परिवार के सदस्यों द्वारा भेजे गये रूपयों को प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करती हैं. जिनका कोई बैंक खाता नहीं हैं, इंटरनेट की सुविधा नहीं हैं और विदेश में रहने वाले लोगों द्वारा भेजे गये रूपये को प्राप्त करने का अन्य कोई जरिया नहीं हैं.
  • तत्काल मनीआर्डर सेवा IMO– यह एक ऑनलाइन घरेलू मनी प्रेषण सेवा हैं, जिसका उद्देश्य बाजार में ग्राहकों को उनके भेजे गये रूपयों को उसी क्षण उपलब्ध करवाता हैं. इस सेवा के द्वारा ग्राहक IMO सेवा प्रदान करने वाले किसी डाकघर में मिनटों में रूपया प्राप्त कर सकते हैं. यह सेवा 20 जनवरी 2006 को शुरू की गई.
  • ई मनी आर्डर EMO– डाक विभाग ने 10 अक्टूबर 2008 को ईएमओ सेवा शुरू की है. इलेक्ट्रॉनिक मनीआर्डर प्रणाली के अंतर्गत मनीआर्डर की राशि को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा जाता हैं.
  • डाकघर द्वारा डाकघर जमा योजना, 5 वर्षीय डाकघर आवर्ती जमा खाता, डाकघर सावधि जमा खाता, डाकघर बचत खाता योजना, लोक भविष्य निधि स्कीम, किसान विकास पत्र स्कीम, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र और वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाएं संचालित की जाती हैं.
  • पोस्ट ऑफिस में बचत खाता हम 100 रूपये जमा करवाकर खोल सकते हैं. तथा इसमें कितनी ही राशि जमा करवा सकते हैं. परन्तु एक दिन में केवल एक ही बार रकम निकाली जा सकती हैं. डाकघर सावधि जमा खाते में एक निश्चित समय के लिए निश्चित राशि जमा कराई जाती हैं तथा उस अवधी के बाद वह राशि ब्याज सहित वापस मिल जाती हैं. आवर्ती जमा खाते में हर माह एक निश्चित रकम जमा कराई जाती हैं. जो 3 वर्ष 5 वर्ष बाद ब्याज सहित वापस मिल जाती हैं.
  • डाकघर इन सभी जमाओं पर ब्याज देता हैं. ब्याज की दर सावधि जमा पर सर्वाधिक, आवर्ती जमा पर थोड़ी कम एवं बचत खाते पर सबसे कम होती हैं.
  • डाकघर में सेवानिवृत कर्मचारियों व वरिष्ठ नागरिकों के लिए जमा योजनाएं भी संचालित होती हैं.
  • पोस्टऑफिस में टेलीफोन की राशि भी जमा कराई जा सकती हैं.
  • स्पीड पोस्ट सेवा– स्पीड पोस्ट सेवा 1 अगस्त 1986 को शुरू की गई थी. इस सेवा के अंतर्गत पत्रों, दस्तावेजो और पार्सलों की डिलीवरी एक निश्चित अवधि के अंतर्गत की जाती है और उस अवधि में डिलीवरी न होने पर ग्राहक को डाक शुल्क पूर्ण रूप से वापस कर दिया जाता हैं.
  • स्पीड नेट- इंटरनेट आधारित ट्रेक एंड ट्रेस सर्विस स्पीड नेट को 3 जनवरी 2002 को शुरू किया गया था.
  • डाक जीवन बीमा– डाक विभाग जीवन बीमा की सुविधा भी प्रदान करता हैं. यह अपेक्षाकृत कम प्रीमियम पर अधिक राशि की जीवन बीमा सुविधा देता हैं.
  • ग्रामीण डाक जीवन बीमा– इस योजना की शुरुआत 24 मार्च 1995 को की गई थी, इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आम लोगों और समाज के कमजोर वर्गों को कम प्रीमियम पर बीमा सुरक्षा उपलब्ध कराना हैं.

भारत में डाकघर का इतिहास

भारत में आधुनिक डाक व्यवस्था की स्थापना 18 वीं सदी के उत्तरार्ध में हुई हैं. वर्ष 1776 में लार्ड क्लाइव द्वारा स्थापित इस डाक व्यवस्था का आगे विकास वारेन हेस्टिंग्स ने वर्ष 1774 में एक पोस्ट मास्टर जनरल के अधीन कलकत्ता जीपीओ की स्थापना करके किया. मद्रास व बम्बई की अन्य प्रेसिडेंसीयों में जनरल पोस्ट ऑफिस क्रमशः 1786 व 1793 में अस्तित्व में आए.

1837 के अधिनियम के द्वारा तीन प्रेसिडेंसीयों में पोस्ट ऑफिस संगठन को एक अखिल भारतीय सेवा के रूप में समान आधार पर एक करने के लिए विनियमित किया गया. सिंध के कमिश्नर सर बार्टेल फ्रेर ने 1852 में पहला पेपर डाक टिकट जारी किया. इन्हें सिंध डाक के नाम से जाना जाता था.

इससे पहले ताम्बे के टोकन डाक टिकट के रूप में काम में लिए जाते थे. गर्वनर जनरल लार्ड डलहौजी के काल में 1854 के डाकघर अधिनियम ने डाक प्रणाली के स्वरूप में आमूल चूल संशोधन किया और भारतीय डाक विभाग 1 अक्टूबर 1854 को स्थापित किया गया.

वर्तमान में भारतीय पोस्ट ऑफिस अधिनियम 1898 देश में पोस्टल सेवाओं को नियंत्रित कर रहा हैं. पोस्ट ऑफिस नेटवर्क डाक संचार सुविधाओं को प्रदान करने के अतिरिक्त पैसा भेजने, बैंकिंग और बीमा सेवाओं की सुविधाओं को भी प्रदान कर रहा हैं.

भारत में आज विश्व का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क हैं. भारत के पोस्टल नेटवर्क में तीन श्रेणियों के डाकघर हैं.

  • प्रधान डाकघर
  • उप डाकघर
  • अतिरिक्त विभागीय डाकघर

सभी श्रेणियों के डाकघर समान पोस्टल सेवाएं प्रदान करते हैं. हालांकि डिलीवरी का काम विशिष्ट डाकघरों तक ही सिमित हैं. प्रबन्धन, नियन्त्रण के लिए शाखा डाकघरों से कोष को उप डाकघरों में और अंत में प्रधान डाकघर में लाकर जमा कराया जाता हैं.

भारत में अंतर्राष्ट्रीय डाक: भारत 1876 से युनिवर्सल पोस्टल यूनियन का और 1964 से एशिया पैसिफिक पोस्टल यूनियन का सदस्य हैं. भारत 217 से भी अधिक देशों के साथ स्थलीय और विमान सेवा द्वारा पत्रों का आदान प्रदान करता हैं.

प्रोजेक्ट ऐरो: अपने आधारभूत कार्यकलापों को मजबूत करने और आम आदमी को भी नई प्रोद्योगिकी समर्पित सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए डाक विभाग ने प्रोजेक्ट ऐरो नामक परियोजना प्रारम्भ की हैं. इस परियोजना का उद्देश्य डाकघरों की नई पहचान बनाना हैं, जिसके लिए उनमें भीतरी व बाह्य साज सज्जा को आधुनिक स्वरूप दिया जा रहा है.

डाकघर का महत्व

सार्वजनिक जीवन में उपयोग आने वाली महत्वपूर्ण संस्थाओं में डाकघर भी हैं. इसकी मदद से हम अपने पार्सल या कागजात को कही भी भेज सकते है अथवा घर बैठे आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. अपने घर से कही भी दूर रहकर भी अपने परिवार और रिश्तेदारों को अपने संदेश अथवा कोई वस्तु आसानी से डाक के जरिये प्रेषित कर सकते हैं. डाकघर के जरिये हम पंजीकृत पत्र, जन्मदिन की शुभकामनाएं, पार्सल और मनी ऑर्डर आदि भेज सकते हैं.

बदलते वक्त और संचार के साधनों में वृद्धि के साथ ही डाक घर और डाक प्रणाली की उपयोगिता जरुर कम हुई है मगर फिर भी इसका महत्व खत्म नहीं हुआ हैं. डाक पत्र वितरित करने वाले पोस्टमैन (डाकिया) के साथ हमारे विशिष्ट सम्बन्ध होते हैं. कई बार हम ऑनलाइन खरीददारी की डिलीवरी भी डाक के जरिये पोस्ट ऑफिस से ही प्राप्त करते हैं.

डाकघर ने हमारे जीवन में कई मुश्किलों को सरल किया हैं. सरकारी योजनाओं से जुड़े लाभ हमें डाक के जरिये ही प्राप्त होते हैं. विद्यार्थी, वृद्ध,महिलाओं के लिए छोटी छोटी बचत योजनाएं जीवन में कई बार बहुत कारगर साबित होती हैं. डाकघर हमारे समय और धन दोनों की बचत कर आवश्यक वस्तु को हमारे द्वार तक पहुचाता हैं, एक तरह से जीवन में डाकघर जनसेवा केंद्र की भूमिका निभाकर अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रहे हैं. समाज के सभी तबके के लोग इससे लाभ प्राप्त करते हैं. खासकर व्यापारी वर्ग के लिए यह वरदान से कम नहीं हैं, उन्हें बहुत कम खर्च में अत्यधिक सुविधाएं डाकघर उपलब्ध करवाता हैं.

निष्कर्ष

एसा नहीं है की आज मोबाइल आ गए तो डाकघर का कोई काम नहीं है | आज भी डाकघर इस्तेमाल होता आ रहा है और यह आगे भी होता रहेगा | तो में आशा करता हु की आपको ये डाकघर पर निबंध जरूर पसंद आया होगा |

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