आज में आपको गाय पर निबंध के बारे में बताने जा रहा हु. वैसे तो गाय के बारे में कोण नहीं जानता है हम सब जानते है की हमारे हिन्दू धर्म में गाय का क्या महतव है. लेकिन फिर भी गाय पर निबंध के जरिए एक बार फिर से उन्ही महत्व पर कुछ रोशनी डालना चाहूँगा. आशा करता हु की आपको ये पसंद आए.
अगर आपको यह गाय पर निबंध पसंद आए तो एक बार यह दुर्गा पूजा पर निबंध भी जरूर पढ़े.
गाय पर निबंध

गोहत्यां ब्रह्महत्यां च करोति ह्यतिदेशिकीम्।
यो हि गच्छत्यगम्यां च यः स्त्रीहत्यां करोति च ॥
भिक्षुहत्यां महापापी भ्रूणहत्यां च भारते।
कुम्भीपाके वसेत्सोऽपि यावदिन्द्राश्चतुर्दश ॥
गाय एक महत्त्वपूर्ण पालतू पशु है जो संसार में प्रायः सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म का दूध प्राप्त होता है। गाय को माता (गौमाता) कहते हैं। इसके बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतों की जुताई करते हैं।
भारत में वैदिक काल से ही गाय का महत्व रहा है। आरम्भ में आदान-प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा उसकी हत्या पापों में गिनी की जाती है।
भारत में गाय को सम्मान की नज़रों से देखा जाता है क्योंकि हिंदू धर्म में कहा जाता है कि गाय के अंदर सभी 322 करोड़ देवताओं का वास होता है। साथ ही भारत में रहने वाले लोगों ने गाय को मां की संज्ञा दी है। भारत में गाय का बहुत ख्याल रखा जाता है और गाय की पूजा भी की जाती है।
गाय का संबंध भगवान श्री कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उन्हें गाय बहुत पसंद थी और वे उन्हें खूब प्यार दुलार देते थे।
गाय की रचना:
गाय एक पालतू पशु है जो कि आमतौर पर सभी जगह पर पाई जाती है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 190 मिलियन गायों की जनसंख्या है।
पूरे विश्व भर से ज्यादा गाय हमारे भारत में ही पाई जाती है। गाय की रचना वैसे तो सभी देशों में समान ही पाई जाती है लेकिन गाय की कद काठी और नस्ल में फर्क होता है।
कुछ गाय अधिक दूध देती हैं, तो कुछ कम देते है।
गाय का शरीर बहुत बड़ा होता है इसका वजन 720 किलो से भी अधिक होता है।
गाय का शरीर आगे से पतला और पीछे से चौड़ा होता है।
गाय के दो बड़े कान होते हैं, जिनकी सहायता से वे धीमी धीमी और अधिक तेज आवाज भी सुन सकती है।
गाय के दो बड़ी आंखें होती हैं, जिनकी सहायता से भी लगभग 360 डिग्री तक देख लेती है।
गाय एक चौपाया पशु है और चारों पैरों में खुर्र होते है, जिसकी सहायता से भी किसी वे किसी भी कठोर स्थल पर चल सकती है।
गाय का मुंह ऊपर से चौड़ा और नीचे से पतला होता है। इसके पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल होते है।
गाय के एक लंबी पूछ होती है, जिसकी सहायता से वे अपने शरीर पर लगी हुई मिट्टी को हटाती रहती है।
गाय के 4 थन होते हैं और इसकी गर्दन लंबी होती है।
गाय के मुंह के सिर्फ निचले जबड़े में 32 दांत पाए जाते है इसीलिए गाय लंबे वक्त तक जुगाली कर के खाने को चबाती है।
गाय के एक बड़ी नाक होती है।
गाय के दो बड़े सिंग होते है।
भारतीय गाय हमारी माता:
समुद्रमंथन के दौरान इस धरती पर दिव्य गाय की उत्पत्ति हुई। भारतीय गोवंश को माता का दर्जा दिया गया है इसलिए उन्हें गौमाता कहते है। हमारे शास्त्रों में गाय को पूजनीय बताया गया है इसीलिए हमारी माताएं बहनें रोटी बनाती है तो सबसे पहली रोटी गाय के की होती है। गाय का दूध अमृत तुल्य होता है।
भागवत पुराण के अनुसार, समुद्रमंथन के समय पाँच दैवीय कामधेनु निकलीं।
नन्दा
सुभद्रा
सुरभि
सुशीला
बहुला
गाय का उपयोग:
गाय एक पालतू पशु है इसलिए इसे घरों में पाला जाता है और सुबह शाम इसका दूध निकाला जाता है। एक गाय, एक समय में 5 से लेकर 10 लीटर दूध देती है। कुछ अलग नस्ल की गाय अधिक दूध भी देती है।
पुराने जमाने में गायों को खेतों में हल जोतने के काम में भी लिया जाता था।
गाय के दूध से दही छाछ पनीर और अन्य दूध से बनने वाली मिठाइयां बना सकते है।
गाय के गोबर को सुखाकर ईंधन के काम में लिया जाता है, साथ ही गाय की गोबर का उपयोग खेतों में खाद के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
वर्तमान में लोग गायों का मांस भी खाने लगे है जिसे ‘बीफ’ कहा जाता है। गाय अपने पूरे जीवन भर में कुछ ना कुछ देती ही रहती है।
गाय के मरणोपरांत इसकी हड्डियों से कई शिल्प कलाकृतियां बनाई जाती है और इसकी खाल को सुखा कर चमड़े के रूप में उपयोग में लिया जाता है।
गाय के गोमूत्र को बहुत पवित्र माना गया है और इसके गोमूत्र को आयुर्वेदिक औषधियों के रूप में उपयोग में लिया जाता है, जो कि कई बड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म करने में कारगर है।
गाय की नस्लें:
भारत में कई प्रकार की नस्ल की गाय पाई जाती है। जिनमें कुछ अच्छे दूध देने वाली होती है तो कुछ मजबूत शरीर वाली होती हैं जिससे उनके बछड़े भी मजबूत शरीर वाले पैदा होते हैं और उनसे खेतों में हल जोतने के रूप में काम में लिया जाता है।
भारत में पाई जाने वाली गाय की प्रमुख नस्लें
साहीवाल जाति
नागौरीए पवाँर
भगनाड़ी
राठी
मालवीए
काँकरेज
सिंधी
दज्जल
थारपारकर
अंगोल या नीलोर
गाय का मान ही राम का मान है। राम का जन्म गौ का ही वरदान है॥
गाय के वंश से भूमि हँसती सदा। गाय में राष्टृ की शान वसती सदा॥
गोबर से उर्वरा धरती को करती हैं। चमड़ी भी अपनी हमको अर्पित करती हैं॥
रोमण्रोम जिनका करता है उपकृत हमको। दूधण्दहीण्घृत से पूरित करती जीवन को॥
गाय के फायदे:
गाय के दूध से कई तरह के उत्पाद तयार किए जाते हैं। जैसे की दही, मख्खण, तूप, पनीर, छाछ, आइसक्रीम इत्यादि और गाय के मूत्र और गोबर का इस्तमाल ईंधन और खाद के लिये किया जाता हैं।
गाय का मूत्र दवाई बनाने के लिए भी करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गाय के मूत्र का सेवन करने से हमारे शरीर को अत्यधिक फायदा होता हैं। गाय के मूत्र और गोबर से बना खाद किसी भी प्रकार के और खाद से बेहतर होता हैं। जो न सिर्फ फसल को बढ़ने में मदत करता हैं। साथ में उससे जमीन की गुणवत्ता नैसर्गिक तौर से बढ़ती हैं। आज की खेती का मूल आधार तो गाय के गोबर और मूत्र से बना खाद ही हैं।
गाय के दूध का सेवन अन्य पशुओं के दूध के सेवन से अधिक फायदा दिलाता हैं। नवजात शिशु को अगर दूध की कमी होती है तो उसे गाय का दूध पिलाने की सलाह दी जाती हैं। ऐसा कहते हैं की भैस का दूध बच्चों को सुस्त बनाता हैं, तो गाय के दूध से बच्चों में चंचलता बरकरार रखता हैं जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास होने में मदद होती हैं।
गाय जीवनभर हमारा फायदा करवाती ही हैं। साथ में उसके मौत के उपरांत उसके शरीर के लघबघ सारे अंग उपयोगी साबित होते हैं। जैसे की उसके सिंगए चमड़े और खुर से रोजमर्रा की कई चीजे बनाई जाती हैं और उसके हड्डियों से बना खाद खेती के लिए उपयोगी रहता हैं।
भोजन:
खाने में हरा चारा खाती है। इसे भूसा, पत्ते और खल भी पसंद हैं। गाय एक बार चारा खाने के बाद पूरे दिन उसे चबाती रहती है यह 1 मिनट में लगभग 50 बार जुगाली, चारे को चबानाद्ध करती है। ये एक बार में 30 से 40 लीटर तक पानी पी जाती है।
महत्व:
यद्यपि गाय पूरे विश्व भर में पाई जाती हैं और पूरे विश्व में एक पालतू जानवर के रूप में पाला जाता है, लेकिन भारत में गाय का अलग ही महत्व है। गाय को भारत में बहुत महत्वपूर्ण पशु माना गया है। इसे हिंदू समाज में माँ का दर्जा दिया गया है।
हिंदू धर्म में गाय को पूज्यनीय माना गया है और गाय की हत्या करना एक बहुत बड़ा अपराध माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार गाय के शरीर में देवताओं का वास होता है।
उपयोगिता:
गाय का दूध बहुत पौष्टिक होता है और ये मानव के शरीर के लिये बहुत स्वास्थ्य वर्धक है। हम अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए दैनिक आधार पर गाय का दूध पीते हैं। डॉक्टरों द्वारा मरीजों को गाय का दूध पीने को कहा जाता है। यह माना जाता है, कि नवजात शिशुओं के लिए गाय का दूध अच्छा, स्वस्थ और आसानी से पचने वाला भोजन है। इसलिए इसे आसानी से पाचन विकार वाले रोगियों द्वारा पिया जा सकता है।
गाय का दूध हमें मजबूत और स्वस्थ बनाता है। यह हमें कई तरह के संक्रमण और बीमारियों से बचाता है। यह हमारी प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। अगर हम नियमित रूप से पीते हैं, तो गाय का दूध हमारे दिमाग और याददाश्त को तेज बनाता है।
गाय के दूध में प्रोटीन की मात्र सबसे अधिक होती है। इसलिए उसे पिने से शरीर में प्रोटीन की मात्रा संतुलित होती है।
गांवों में गाय के गोबर को सुखाकर ईधन के काम में लिया जाता है। गाय के गोबर का उपयोग खेतों में खाद के रूप में भी होता है।
आर्युवेद के अनुसार गाय के गोमूत्र को बहुत पवित्र माना गया है और इसके गोमूत्र को आयुर्वेदिक औषधियों के रूप में उपयोग में लिया जाता है जिससे कई बीमारियों मे लाभ होता है।
प्रजातियाँ:
पूरे विश्व में भारत में ही सबसे अधिक गाये पायी जाती हैं। हालांकि संसार में अलग-अलग नस्लों की गाये पायी जाती हैं। नस्ल के हिसाब से गाय की दूध देने की क्षमता अलग-अलग होती है। ये एक 10 लीटर से 20 लीटर दूध दे सकती है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया जरसी नस्ल की गायें ज्यादा दूध देती हैं। भारत में साहीवाल जाति, नागौरी, पवाँर, भगनाड़ी, राठी, मालवी, काँकरेज, सिंधी, दज्जल, थारपारकर, अंगोल या नीलोर आदि नस्लों की गाये पायी जाती हैं।
भारत में गायों की 2 मुख्य विशेषताएं है:
सुन्दर कूबड़
गलकंबल
आदिमानवो द्वारा गुफा की दीवारों पर निकली गई तस्वीरों में गाय का चित्र भी मौजूद है। गाय के पुरातन होने का प्रमाण आदिमानव, पाषण युगद्ध काल से भी पाया गया है।
पौराणिक महत्व:
प्राचीन काल में गाय को अघन्या कहा गया है। पहले वस्तुओं का विनिमय करने के लिए मुद्रा नहीं गाय का प्रयोग करते थे। जिस घर में सर्वाधिक गाय होती थी, वह घर सम्रद्धशाली माना जाता था।
प्राचीन काल में राजा, ब्राह्मणों को गो-दान भी देते थे। जिसमें राजा अपनी गौशाला की स्वस्थ गाय देता था। कन्याओं को भी विवाह के अवसर पर गाय उपहार में दी जाती थी। यज्ञ की समाप्ति पर भी गोदान दिया जाता था।
भारत में गाय को पवित्र पशु माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म में गौ माता की पूजा भी की जाती है। गाय दयावान व शांत स्वभाव वाला जानवर है। अतरू गाय धार्मिक, आर्थिक व वैज्ञानिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है।
धार्मिक महत्व:
‘गोवर्धन’ के दिन गोबर को जलाकर उसकी पूजा और परिक्रमा की जाती है। गोबर का प्रयोग खेतों में खाद के लिए भी किया जाता है। गाय के मूत्र का प्रयोग दवाइयां बनाने में भी किया जाता है। अनेक हिन्दू घरों में गायों की प्रतिदिन पूजा होती है। सुबह और शाम को पहली रोटी गाय के लिए निकाली जाती है।
सामाजिक महत्व:
नर गाय को बैल कहते हैं। गाय का बच्चा बछड़ा कहलाता है। बैल को खेती के कामों में, गाड़ी खींचने के लिए, पानी निकालने के लिए उपयोग में लाते हैं। गाय ष्माँष् के स्वर का मधुर उच्चारण करती हैं। हमारे देश भारत में गाय का बहुत ज्यादा महत्व है, चुकी आज भी गाँव के लोगो का जीवन कृषि पर आधारित है, तो ऐसे में गाय की महत्ता को देखते ही गाय की उपयोगिता और भी अधिक बढ़ जाती है।
गाय से गोबर मिलता है जो की खेती के लिए जैविक खाद का कार्य करती है, गोबर से बने उपले, कंडे जलाने के काम में आते है, जो की खाना बनाने ईधन का कार्य करती है। वही दूसरी तरह घरो की लिपाई, पुताई के लिए गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है।
यहाँ तक की गाय के गोबर के लिए पूजा के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। जिस घर पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है, उस घर के कच्चे स्थानों को गाय के गोबर से लिपाई पुताई किया जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से गाय का महत्व:
गाय का वैज्ञानिक नाम नाम बॉस इंडिकस है। गाय का दूध गुणवत्ता के मामले में आदि जानवरों से कई गुना पौष्टिक एवं ऊर्जावान तथा शक्तिशाली होता है। आज भले ही गाय के दूध का उत्पादन भैंस से कम होता हो परंतु इसके दूध से बने उत्पादों का कोई मुकाबला नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सभी जानवरों में गाय ही एक ऐसा जानवर है जो आक्सीजन लेता है और आक्सीजन छोड़ता है।
जबकि मानव सहित अन्य पृथ्वी के जीवधारी जैसे मानव और पशु, गाय को छोड़ करद्ध आक्सीजन लेते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। तथा पेड़-पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं और आक्सीजन छोड़ते हैं।
एक शोध के अनुसार पता चला है की गाय के घी का इस्तेमाल हवन मे करने से आक्सीजन बनती है। गाय के गोबर में विटामिन D12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रेडियोधर्मी को सोखता है। कहते हैं गोबर के उपले जलाने से कीटाणु, मच्छर एवं बिमारियाँ आदि दूर हो जाती है। तथा दुर्गंध भी दूर होती है।
गोबर और गौमूत्र फसल के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। गोबर और गौमूत्र खेतों में डालने से यह खाद का काम करता है। तथा अनाज की फसल की गुणवत्ता बनी रहती है। गाय की मृत्यु के बाद भी गाय के सींग 45 साल तक सुरक्षित बने रहते हैं।
पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, घी, मक्खन, गौमूत्र तथा गोबर से बनता है। पंचगव्य रोग निरोधक के रूप में कार्य करता है। कैंसर वाले व्यक्तियों को भी पंचगव्य सेवन करने के लिए दिया जाता है।
आशा करता हु की आपको ये गाय पर निबंध पसंद आया होगा.