दोस्तों आज में आपको त्रिलोचन का जीवन परिचय के बारे में कहूँगा | में आशा करता हु की आपको ये त्रिलोचन का जीवन परिचय जरूर पसंद आएगा | अगर आपको ये त्रिलोचन का जीवन परिचय पसंद आए तो आप एक बार Ashok Vajpayee Ka Jeevan Parichay इसे जरूर पढ़े |
त्रिलोचन का जीवन परिचय

त्रिलोचन शास्त्री का वास्तविक नाम वसुदेव सिंह है। इनका जन्म सुल्तानपुर (उ. प्र.) जिले के चिरानी पट्टी में 20 अगस्त सन् 1917 ई. को हुआ था। शास्त्री परीक्षा उत्तीर्णोपरान्त इन्होंने एम. ए. (पूर्वार्द्ध) की परीक्षा उत्तीर्ण की। स्वाध्याय से त्रिलोचन ने उर्दू , फारसी, अरबी तथा अन्य अनेक भारतीय भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। ‘ताप के ताए हुए दिन’ इनका काव्य संग्रह है, जिस पर साहित्य अकादमी पारितोषिक भी प्राप्त हो चुका है। त्रिलोचन शास्त्री एक कवि होने के साथ साथ एक सफल सम्पादक के रूप में भी जाने जाते हैं।
उन्होंने पत्रकारिता के साथ-साथ कोशसम्पादन भी भली-भाँति किया है। त्रिलोचन जी ने अनेक पत्रिकाओं से सम्बद्ध रहकर कार्य किया जिनमें वे ‘हंस’ तथा ‘कहानी’ पत्रिकाओं से विशेष रूप सम्बद्ध रहे। इनके अतिरिक्त वे ‘आज’ , ‘जनवार्ता’ , ‘समाज’ , ‘प्रदीप’ , और ‘चित्रलेखा’ , आदि पत्रिकाओं के सह-सम्पादक के रूप में सुचारू कार्य किया, वे सागर विश्वविद्यालय में मुक्तिबोध पीठ के अतिथि प्रोफेसर के रूप में कार्य कर चुके हैं। यह महान विभूति 9 दिसम्बर सन 2007 ई. को 90 वर्ष की आयु में परलोक सिधार गया।
कार्यक्षेत्र
त्रिलोचन शास्त्री हिंदी के अतिरिक्त अरबी और फारसी भाषाओं के निष्णात ज्ञाता माने जाते थे। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी वे खासे सक्रिय रहे है। उन्होंने प्रभाकर, वानर, हंस, आज, समाज जैसी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।
त्रिलोचन शास्त्री 1995 से 2001 तक जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा वाराणसी के ज्ञानमंडल प्रकाशन संस्था में भी काम करते रहे और हिंदी व उर्दू के कई शब्दकोषों की योजना से भी जुडे़ रहे। उन्हें हिंदी सॉनेट का साधक माना जाता है। उन्होंने इस छंद को भारतीय परिवेश में ढाला और लगभग 550 सॉनेट की रचना की।
इसके अतिरिक्त कहानी, गीत, ग़ज़ल और आलोचना से भी उन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उनका पहला कविता संग्रह धरती 1945 में प्रकाशित हुआ था। गुलाब और बुलबुल, उस जनपद का कवि हूं और ताप के ताये हुए दिन उनके चर्चित कविता संग्रह थे। दिगंत और धरती जैसी रचनाओं को कलमबद्ध करने वाले त्रिलोचन शास्त्री के 17 कविता संग्रह प्रकाशित हुए।
त्रिलोचन की रचनाएँ
इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ इस प्रकार हैं
कविता संग्रह
- धरती (1945)
- गुलाब और बुलबुल (1956)
- दिगंत (1957)
- ताप के ताए हुए दिन (1980)
- शब्द (1980)
- उस जनपद का कवि हूँ (1981)
- अरधान (1984)
- तुम्हें सौंपता हूँ (1985)
- मेरा घर
- चैती
- अनकहनी भी
- जीने की कला (2004)
संपादित
- मुक्तिबोध की कविताएँ
कहानी संग्रह
- देशकाल
त्रिलोचन जननीवन से जुड़े हुए कवि हैं उनकी कविताओं में माटी की महक है। उन्होंने मानवीय अनुभूतियो। का सहज एवं सजीव चित्रण किया है, इनकी कविताओं में प्रगतिशीलता का गुण विद्यमान है। भाषा सरल है सुबोध है तथा जनमानस के अति निकट है। शिल्पगत सौंदर्य की दृष्टि से वे स्वयं अपनी तुलना में आप ही हैं। ताप के ताए हुए दिन (1980) के कविता संग्रह पर उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुुस्कार प्राप्त हुआ था।
पुरस्कार व सम्मान
त्रिलोचन शास्त्री को 1989-1990 में ‘हिन्दी अकादमी’ ने ‘शलाका सम्मान’ से सम्मानित किया था। हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हे ‘शास्त्री’ और ‘साहित्य रत्न’ जैसे उपाधियों से सम्मानित भी किया जा चुका है। 1982 में ‘ताप के ताए हुए दिन’ के लिए उन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ भी मिला था।
निधन
जीवन के अंतिम वर्ष उन्होंने अपने सुपुत्र अमित प्रकाश सिंह के परिवार के साथ हरिद्वार के पास ज्वालापुर में बिताए थे। अंतिम वर्षों में भी वे काफ़ी जीवंत रहे। वार्धक्य ने शरीर पर भले ही असर डाला था, पर उनकी स्मृति या रचनात्मकता मंद नहीं पड़ी थी। त्रिलोचन शास्त्री का निधन 9 दिसम्बर, 2007 को गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ।
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